नमस्कार दोस्तों ! आज हमलोग इस लेख में भारत का भौतिक स्वरूप के विषय में जानेंगे। समान्य शब्दों में भौतिक स्वरूप का तातपर्य किसी भी क्षेत्र, देश, प्रदेश के धरातलीय बनावट से होता है इसके अंतर्गत किसी क्षेत्र के उच्चावच अर्थार्त भू-आकृति की विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। किसी भी देश के धरातल में पर्वत, पठार, मैदान आदि भू-आकृतियां पाई जाती है। जो एक दूसरे से अलग विशेषता रखते है। इनके निर्माण प्रक्रिया, रचना समाग्री, स्वरूप, निर्माण में लगने वाला समय अलग-अलग होते है। इसी आधार पर किसी देश का भौतिक स्वरूप को अलग-अलग भागो में विभाजित करके अध्ययन किया जाता है।
जहाँ तक भारत का भौतिक स्वरूप का प्रश्न है तो, भारत जैसे विशाल देश जो दुनिया सातवाँ बड़ा देश है यहाँ पर काफी धरातलीय विषमता पाई जाती है। भारत के सम्पूर्ण क्षेत्रफल ( 32,87,563 वर्ग किमी ) का 11 प्रतिशत भू-भाग पर्वत, 18 प्रतिशत भू-भाग पहाड़ी, 28 प्रतिशत भू-भाग पठारी, एवं 43 प्रतिशत भू-भाग मैदानी है। इसमें भारतीय मरुस्थलीय तथा द्वीप समूह सम्मिलित है जो मुख्यतः पर्वतीय, मैदानी तथा पठारी भाग के अंर्तगत ही आते है।
भारत का भौतिक स्वरूप / भू-आकृति / भौगोलिक आकृति
किसी भी देश की भू-आकृति उसकी संरचना, प्रक्रिया और उसके विकास में लबनी वाला समय का प्रतिफल होता है। भारत की भूगर्भिक संरचना आर्कियन कल से लेकर नूतन काल तक की चट्टानें पाई जाती है। तथा निर्माण प्रक्रिया के तहत अंतर्जात बल ( भूकंप, ज्वालामुखी, भूसंचलन आदि ) और बहिर्जनित बल (अपरदन, अपक्षय, निक्षेपण आदि ) आर्कियन काल से नवजीवी काल तक सक्रिय है। इन तीनों ( संरचना, प्रक्रिया और समय ) कारको के फलस्वरूप विकसित भारतीय भू-आकृति को छः भागो में विभाजित किया जाता है।
- उत्तर एवं उत्तर पूर्वी पर्वतमाला।
- उत्तरी भारत का मैदान।
- प्रायद्वीपीय पठार।
- भारतीय मरुस्थल।
- तटीय मैदान। तथा
- द्वीप समूह।
संरचना, प्रक्रिया और समय के कारण भारत की धरातलीय स्वरूप या भू-आकृति में काफी भिन्नताएँ पाई जाती है। भारत के उत्तर में विश्व के समझे ऊँची पर्वत श्रृंखला हिमालय स्थित है जहां, विश्व की सर्वोच्च पर्वत शिखर माउन्ट एवरेस्ट ( 8850 मीटर ), गहरी घाटियाँ, महाखड्ड पाए जाते है। वहीं दूसरी ओर भारत के दक्षिण में उबड़-खाबड़ भूमि पाई जाती है। जो विश्व के प्राचीनतम भूभाग पठारी क्षेत्र स्थित है। जहाँ अपरदित, अपशिस्ट तथा भ्रंस पहाड़ियाँ पाई जाती है।
इन दोनों के मध्य में भारत के सबसे नवीनतम स्थलाकृति मैदानी क्षेत्र का स्थिति है। जिसका निर्माण हिमालय तथा पठारी क्षेत्रो से निकलने वाली नदियों के निक्षेप से हुआ है। जो विश्व के सबसे उपजाऊ क्षेत्रो में से एक है। जो भारत को अन्न उत्त्पादन में आत्मनिर्भर बनता है।