ब्रह्माण्ड में विभिन्न प्रकार के खगोलीय पिण्ड पाए जाते है जैसे:- तारे, ग्रह, उपग्रह,उल्का, क्षुद्र ग्रह इत्यादि। उनमे से हमारी पृथ्वी भी एक है जो सौरमंडल का सबसे अनोखा ग्रह है। जिसमे जल और जीवन पाया जाता है। पृथ्वी का अध्ययन भूगोल विषय में किया जाता है। पृथ्वी के अध्ययन के तहत पृथ्वी के बारे में जानकारियां हासिल की जाती है। जैसे पृथ्वी की उत्पत्ति और विकास कैसे हुआ है, इसकी आंतरिक संरचना कैसी है, इसके धरातल की भिन्नताएं तथा वायुमंडलीय विशेषताओं इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।
हमारी पृथ्वी प्रारंभ में चट्टानी, गर्म एवं वीरान ग्रह थी। इसका वायुमंडल भी बहुत ही विरल था जिसकी रचना हाइड्रोजन तथा हिलयम से हुई थी ऑक्सीजन और नाइट्रोजन नहीं पाया जाता था कालंतर में पृथ्वी पर कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुई जिससे पृथ्वी पर जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ विकसित हो गई।
पृथ्वी की संरचना परतदार है। पृथ्वी के केंद्र से वायुमंडल तक भारी से हल्के पदार्थो का आवरण पाया जाता है पृथ्वी के केंद्र से वायुमंडल की ऊपरी सीमा तक कई परतें पाई जाती है। जो एक दूसरे से अलग है जैसे पृथ्वी के केंद्र से वायुमंडल की ओर क्रोड़, मेंटल(पर्वार), भूपर्पटी, क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, आयनमंडल और वाह्यमंडल।
हमारी पृथ्वी का विषय क्षेत्र विशाल है। पृथ्वी के बारे में जानकारी एक लेख के माध्यम से सम्पूर्ण पृथ्वी के विशेषताओं का वर्णन करना बहुत ही कठिन है। अतः इसके कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं को विंदुवार प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ उम्मीद करता हूँ कि आपलोग संतुष्ट हो पायेंगें।
पृथ्वी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ।
- हमारी पृथ्वी का अपना एक विशिष्ट आकर है, जिसे जियॉड ( Geoid ) कहा जाता है। इसकी आकृति को लघ्वक्ष गोलाभ ( Oblate Spheroid ) भी कहा जाता है।
- इसका विषुवतरेखीय ( भूमध्यरेखीय ) व्यास 12,756 किलोमीटर ( 7,927 मील ) एवं ध्रुवीय व्यास 12,714 किमी ( 7,900 मील ) है।
- इसकी विषुवतरेखीय परिधि 40,075 किमी ( 24900 मील ) है।
- हमारी पृथ्वी का पृष्ठीय क्षेत्रफल 51,01,00,500 वर्ग किमी है। इसमें से 29% ( 15,30,00,000 वर्ग किमी ) क्षेत्र पर स्थल खंड व 71% ( 35,71,00,000 वर्ग किमी ) क्षेत्र पर जलमंडल का विस्तार है।
- हमारी पृथ्वी 1,07,160 किमी प्रति घंटे की गति से 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट 46 सेकेण्ड में सूर्य क एक चक्कर लगाती है। पृथ्वी के इस परिभ्रमण (सूर्य की परिक्रमा ) को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण/परिभ्रमण गति कहते है। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है।
- प्रत्येक सौर वर्ष, कलेंडर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष ( Leap Year )बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप वर्ष 366 दिन का होता है। जिसके कारण उस वर्ष फरवरी माह में 28 के स्थान पर 29 दिन का होता है।
- हमारी पृथ्वी अपनी धुरी ( अक्ष ) पर पश्चिम से पूर्व की ओर 1610 किमी प्रतिघंटे की गति से 23 घंटे, 56 मिनट एवं 4 सेकेंड में एक चक्कर लगती है। पृथ्वी को अपने अक्ष में घूर्णन को दैनिक गति या घूर्णन गति कहा जाता है इसी दैनिक गति के कारण पृथ्वी के किसी स्थान पर दिन और रात होती है।
- पृथ्वी पर ऋतु में परिवर्तन इसकी अक्ष में झुके होने के कारण तथा सूर्य के सपेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन और रात छोटा-बड़ा होता है।
- हमारी पृथ्वी का परिभ्रमण पथ दीर्घ वृतीय ( Elliptical ) है एवं पृथ्वी तथा सूर्य के बीच की दुरी में परिवर्तन होता रहता है। यह दूरी 3 जनवरी को न्यूनतम ( 14,70,00,000 किमी ) एवं 4 जुलाई को अधिकतम ( 15,20,00,000 किमी ) होती है।
- सूर्य और पृथ्वी के मध्य न्यूनतम दूरी की अवस्था को उपसौर ( Perihelion ) एवं अधिकतम दुरी की अवस्था को सर्वोच्च / अपसौर ( Aphelion ) कहा जाता है।
- पृथ्वी अपने कक्ष तल ( Plane Of Orbit ) के साथ 66 डिग्री 30 मिनट का कोण बनाती है। पृथ्वी के इस झुकाव एवं दीर्घवृत्तीय कक्ष के कारण पृथ्वी की चार विशिष्ट स्थितियाँ होती है।
- 21 जून को कर्क रेखा पर सूर्य की किरणे 90 डिग्री लंबवत पड़ती है। अतः इस तिथि को उत्तरी गोलार्द्ध में दिन की अवधि सर्वाधिक लंबी होती है। इसे कर्क संक्रांति या ग्रीष्म अयनांत ( Summer Solstice ) कहा जाता है। इसी प्रकार
- 22 दिसंबर को मकर रेखा पर सूर्य की किरणे लंबवत पड़ती है इसे मकर संक्रांति या शीत अयनांत ( Winter Solstice ) कहा जाता है एवं इस तिथि को दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन की अवधि सर्वाधिक लंबी होती है।
- 21 मार्च और 23 सितंबर को विषुवत रेखा पर सूर्य की किरणें लंबवत पड़ती है इस दिन पृथ्वी पर सभी जगह दिन और रात की अवधि समान ( 12-12 घंटे ) के होती है।
- जब पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमाँ के मध्य आ जाती है तो पृथ्वी की छाया चन्द्रमाँ पर पड़ती है, जिसके कारण चन्द्रमा का कुछ हिस्सा धूमिल हो जाती है इसे चंद्रग्रहण ( Lunar Eclipse ) कहते है। जो पूर्णिमा की रात को होती है, किन्तु सभी पूर्णिमा की रात को नहीं होती जिसका कारण चन्द्रमा का परिभ्रमण है जो हमेशा एक ही पथ पर नहीं गुजरती इसके साथ-साथ चन्द्रमाँ के कक्षतल के झुकाव भी है।
- जब चन्द्रमाँ, पृथ्वी और सूर्य के मध्य आ जाता है तो चन्द्रमाँ के कारण सूर्य स्पष्ट नहीं दिखाई डेथ है। इसे सूर्य ग्रहण ( Solar Eclipse ) कहते है। यह स्थिति अमावस्या वाले दिन में होती है। किन्तु हरेक अमावस्या वाले दिन को नहीं जिसका कारण भी चन्द्रमाँ का परिभ्रमण है जो हमेशा एक ही पथ पर नहीं होता। जिसके पीछे चन्द्रमा के कक्षतल का झुकाव है।
- चन्द्रमाँ पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। जो पृथ्वी से औसत 3,84,400 किमी दूरी पर है। चन्द्रमाँ की पृथ्वी से अधिकतम दुरी 40,05,508 किमी है। इस स्थिति को अपभू ( Apogee ) कहा जाता है। और चन्द्रमाँ की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 3,63,300 किमी है इस स्थति को उपभू ( Perigee ) कहा जाता है।
- हमारी पृथ्वी सौरमंडल के अन्य ग्रहो की तरह सूर्य की परिक्रमा करती है सूर्य और पृथ्वी के मध्य औसत दूरी 14,95,98,000 किमी है सूर्य से पृथ्वी तक सूर्य के प्रकाश पहुँचने में 8 मिनट 20 सेकेण्ड ( 500 सेकेण्ड ) लगता है।
- हमारी पृथ्वी का औसत घनत्व 5.517 ग्राम प्रति गहन सेंटीमीटर ( gm / cm 3 ) है।
- पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुई है।
- पृथ्वी पर जीवन का विकास 3.8 अरब वर्ष पूर्व हुई है।
- चन्द्रमाँ की उत्पत्ति लगभग 4.44 अरब वर्ष पूर्व हुई है।
- सूर्य की उत्पत्ति सगभग 5 अरब वर्ष पहले हुई है।
- ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति लगभग 12 अरब वर्ष पूर्व हुई है।
- बिग बैंग की घटना लगभग 1.37 अरब वर्ष पूर्व हुई है।
- पृथ्वी में जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।
- पृथ्वी के सबसे निकटतम ग्रह शुक्र है। आकर और बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है। जिसके कारण शुक्र को पृथ्वी का बहन खा जाता है।
- हमारी पृथ्वी सौरमंडल में आकर की दृष्टि से पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।
- सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रोक्सिमा सेंचुरी है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है। ( प्रकाश द्वारा एक वर्ष में जितनी दुरी तैय की जाती है उसे एक प्रकाश वर्ष कहते है यह खगोलीय दुरी का मापक है। )
पृथ्वी के धरातल के बारे में
समुद्रतल से पृथ्वी की सर्वाधिक ऊंचाई वाला स्थान | माउन्ट एवरेस्ट ( हिमालय पर्वत, नेपाल में ) 8848 मीटर। |
समुद्रतल से सागर की सर्वाधिक गहराई वाला स्थान | मरियाना गर्त (प्रशांत महासागर )11033 मीटर। |
पृथ्वी के धरातल का सर्वाधिक निचला स्थान | मृत सागर ( डेड सी,इजराईल और जॉर्डन के बॉर्डर में ) 396 मीटर |
पृथ्वी का सबसे बड़ा महासागर | प्रशांत महासागर (16,57,23,740 वर्ग किमी ) |
सबसे बड़ा महाद्वीप ( महादेश ) | एशिया ( 4,45,79,000 वर्ग किमी ) |
सबसे गहरा महासागर | प्रशांत महासागर ( औसत 10,994 मीटर ) |
सबसे बड़ा द्वीप | ग्रीनलैंड ( 2.166 मिलियन वर्ग किमी ) |
सबसे बड़ा द्वीप समूह | इंडोनेशिया |
सबसे बड़ा नदी द्वीप | माजुली ( ब्रह्मपुत्र नदी, असम, भारत ) |
सबसे बड़ा डेल्टा | सुंदरवन ( गंगा ब्रह्मपुत्र नदी ,भारत ) |
सबसे लम्बी नदी | नील नदी (अफ्रीका महाद्वीप ) 6,650 किमी। |
सबसे बड़ी नदी | अमेजन नदी ( दक्षिण अमेरिका ) |
सबसे छोटी नदी | डी नदी ( USA ) 144 मीटर |
सबसे बड़ा सागर | दक्षणी चीन सागर |
सबसे विशाल खाड़ी | मैक्सिको की खाड़ी |
सबसे लम्बी सहायक नदी | मेडीरा नदी ( अमेजन की सहायक ) |
सबसे बड़ी झील | कैस्पियन सागर |
सबसे बड़ी ताजे पानी का झील | सुपीरियर झील (USA ) |
सबसे गहरी झील | बैकाल झील ( रूस ) |
सबसे बड़ा लैगून | लैगोआ डोस पैटोस ( ब्राजील ) |
सबसे ऊँचा जलप्रपात | साल्टो एंजिल (कैरोना नदी- वेनेजुएला ) |
सबसे बड़ा जलप्रपात | ग्वायरा एल्टो पराना नदी |
सबसे ऊँचा पर्वत शिखर | माउन्ट एवरेस्ट( हिमालय-नेपाल) 8848 मीटर |
सबसे ऊँची पर्वतमाला | हिमालय (एशिया में) |
सबसे लम्बी पर्वतमाला | एंडीज (दक्षिण अमेरिका ) |
सबसे ऊँचा पठार | पामीर का पठार ( तिब्बत में ) |
सबसे ऊँचा ज्वालामुखी | माउन्ट कोटोपैक्सी ( इक्वेडर- दक्षिण अमेरका ) |
सबसे विशाल ज्वालामुखी | मैनलोआ (हवाईद्वीप ) |
सबसे बड़ा मरुस्थल ( रेगिस्तान ) | सहारा ( अफ्रीका ) |
सबसे ठण्डा प्रदेश | बोस्टक ( अंटार्कटिका ) |
सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र | मासिनराम (मेघालय – भारत ) |
उम्मीद है उपरोक्त पृथ्वी के बारे में रोचक तथ्यों से आपके ज्ञान में बढ़ोतरी हुई होगी।
Prithvi ka Adhyan Chhota aur satik sankshipt adhyayan hai