इस लेख में हमलोग आयु-लिंग पिरामिड के विषय में जानने का प्रयास करेंगे। इसकी रचना कैसे किया जाता है ? इसको अध्ययन करने का क्या उद्देश्य होता है ? इसे कितने भागो में विभाजित किया जाता है ? इत्यादि।
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आयु-लिंग पिरामिड किसे कहते है ?
यह एक प्रकार का रेखा चित्र है, जिसमे किसी क्षेत्र की जनसंख्या को विभिन्न आयु वर्गो के पुरुष और स्त्रियों की संख्या को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इसकी रचना बहु दण्ड आरेख के माध्यम से किया जाता है। आयु-लिंग पिरामिड को जनसंख्या पिरामिड भी कहते है। इसका उपयोग आयु-लिंग संरचना को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इसका प्रतिपादन डब्ल्यू एम थामसन तथा आर्थर लेविस ने किया था।
इस रेखाचित्र कि आकृति मिस्र के पिरामिड जैसी लगती है। इसी कारण से इसे आयु-लिंग पिरामिड या जनसंख्या पिरामिड कहा जाता है। पिरामिड के भांति ही आधार की ओर अधिक चौड़ी तथा शीर्ष की ओर संकीर्ण, हलांकि सभी आयु-लिंग पिरामिड की आकृति एक जैसी नहीं होती है फिर भी अधिकांश की आकृति पिरामिड से मिलती-जुलती है।
जनसंख्या भूगोल के अंतर्गत जनसंख्या संघटन के विषय विन्दु आयु-लिंग संरचना को सुंदर ढंग से व्यक्त करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। भूगोल के साथ-साथ अर्थशास्त्र में भी इस रेखा चित्र का उपयोग किया जाता है।
इसकी रचना कैसे किया जाता है ?
इस रेखाचित्र की रचना करने के लिए सर्वप्रथम एक क्षैतिज रेखा खींची जाती है जिसे एक्स (X) अक्ष कहा जाता है। इसे दो बराबर भागो में विभाजित किया जाता है। और समान्यतः दाई ओर स्त्रियों की संख्या और बाईं ओर पुरुषो की संख्या को प्रतिशत या संख्या के रूप अंकित किया जाता है।
एक्स (X) अक्ष के बाईं ओर इसके ऊपर एक ऊर्ध्वाधर लम्ब रेखा खींची जाती है। जिसे वाई (Y) अक्ष कहा जाता है। इस वाई (Y) अक्ष में समान उचाई (दुरी) पर विभिन्न आयु वर्गो को दर्शाया जाता है। जैसे 0 से 5, 6 से 10,11 से 15 इत्यादि।
इस (Y) अक्ष को (X) अक्ष के बीचो-बीच दो समांतर लम्ब रेखायें खींच कर उनके बीच में आयु वर्गों को समान उचाई पर दिखाया जाता है।
इसके पश्चात प्रत्येक आयु वर्ग में पुरुषो और स्त्रियों की संख्या या प्रतिशत के बराबर (X) अक्ष के क्षैतिज दण्ड का निर्माण किया जाता है। जिस प्रकार दीवार के निर्माण में ईंट के ऊपर ईंट बिछाया जाता है। उसी प्रकार कम आयु वर्ग के ऊपर अधिक आयु वर्ग के (X) अक्ष के ऊपर बाई ओर पुरुष तथा दाई ओर स्त्री की संख्या या प्रतिशत के अनुरूप क्षैतिज दण्ड का निर्माण किया जाता है।
आयु-लिंग पिरामिड निर्माण के उद्देश्य
जनसंख्या पिरामिड की आकृति किसी क्षेत्र की जनसंख्या की विशेषताओं को समझाने में काफी सहायक होती है।
यह हमे जन्मदर एवं मृत्युदर के साथ-साथ जीवन प्रत्याशा के बारे में जानकारी देती है।
जनसंख्या पिरामिड से हमे आसानी से पता चल जाता है की किसी क्षेत्र में कितने कार्यशील जनसंख्या है और कितने निर्भर जनसंख्या, निर्भर जनसंख्या में बाल आश्रित (15 वर्ष से कम आयु वर्ग) और वृद्ध आश्रित (60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग वाले लोग)
आयु-लिंग पिरामिड से हमे किसी देश के विषय में भी आसानी से जाना जा सकता है की वह देश विकसित देश है, विकासशील है, या कम विकसित।
इसका उपयोग किसी विशेष आयुवर्ग की जनसंख्या का वर्तमान स्थिति एवं पुर्वनुमान भी लगाया जा सकता है।
इससे किसी क्षेत्र के लिंगानुपात एवं विशेष आयुवर्ग के लिंगानुपात आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।
जनसंख्या पिरामिड के प्रकार
किसी क्षेत्र कि जनसंख्या में होने वाले वृद्धि के अनुसार आयु-लिंग पिरामिड को तीन भागो में विभाजित किया जाता है।
- विस्तारित होती जनसंख्या।
- स्थिर जनसंख्या।
- ह्रासमान जनसंख्या।
1. विस्तारित होती जनसंख्या
विस्तारित होती जनसंख्या पिरामिड के विशेषताएं निम्नलिखित है।
- इसकी आकृति त्रिभुजाकार होती है। जो लगभग पिरामिड की आकृति से मिलती-जुलती है।
- इसका आधार अधिक चौड़ा तथा शीर्ष संकरा होता है।
- इसका आधार अधिक चौड़ा यह दर्शाता है कि कम आयु-वर्ग वाले लोगो (0 -14 वर्ष) की संख्या अधिक है।
- इसमें जन्म लेने वालो की संख्या अधिक होती है अर्थात जन्मदर अधिक होती है।
- इसका शीर्ष संकरा यह दर्शाता है, कि अधिक आयु वर्ग (60 वर्ष से अधिक) लोगो की संख्या अधिक होती है।
- इसमें उच्च आयु वर्ग वाले लोगो का मृत्युदर अधिक होने के कारण इसकी संख्या कम हो जाती है।
- इस प्रकार के पिरामिड की रचना अल्प विकसित वाले अधिकांश देशो का होता है। जैसे:- नाइजीरिया, बंगलादेश, कुछ समय पहले तक भारत, मैक्सिको इत्यादि।
2. स्थिर जनसंख्या
स्थिर जनसंख्या पिरामिड की विशेषताएं निम्नलिखित है :-
- इसकी आकृति घंटी के आकृति जैसी होती है। जो शीर्ष की ओर शुंडाकर होता जाता है।
- इस प्रकार के आयु-लिंग पिरामिड में जनसंख्या वृद्धि स्थिर होती है।
- जन्मदर तथा मृत्युदर समान होता है।
- इसमें पुरुष तथा स्त्रियों की संख्या लगभग बराबर होती है।
- इसमें युवाओ की जनसंख्या स्थिर होती है।
- आस्ट्रेलिया के जनसंख्या पिरामिड इसी प्रकार की आकृति बनती है।
3. ह्रासमान जनसंख्या
ह्रासमान जनसंख्या पिरामिड के निम्नलिखित विशेषताएं होती है
- इस प्रकार के पिरामिड का आधार संकीर्ण होता है। तथा शुण्डाकार शीर्ष होता है।
- इसमें निम्न जन्मदर तथा निम्न मृत्युदर होता है।
- इस प्रकार के जनसंख्या पिरामिड के रचना वाले देशो में जनसंख्या वृद्धि शून्य अथवा ऋणात्मक होती है।
- इस प्रकार के पिरामिड की रचना ज़्यदातर विकसित देशो की जनसख्या का बनता है।
- जापान इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
भारत के आयु-लिंग पिरामिड
- इन्हे भी जाने :
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