आज के इस लेख में हमलोग यह जानने का प्रयास करेंगे कि आयु संरचना किसे कहा जाता है ? इसको अध्यन करने के पीछे हमारा क्या उद्देश्य होता है ? इसे कितने वर्गो में विभाजित किया जाता है ?इसका विश्व में वितरण किस प्रकार है ? निर्भरता अनुपात क्या है ? इत्यादि।
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आयु संरचना (संघटन) किसे कहा जाता है ?
किसी क्षेत्र, प्रदेश, देश की जनसंख्या को विभिन्न आयु वर्गो में विभाजित करके जनसंख्या का अध्यन करना आयु संरचना या आयु संघटन कहा जाता है। आयु संरचना जनसंख्या संघटन का प्रमुख विशेषता है। यह विभिन्न आयु वर्गो में लोगो की संख्या को प्रदर्शित करता है।
अध्यन का उद्देश्य।
जनसंख्या संघटन का प्रमुख घटक होने के नाते आयु संरचना का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। आयु संरचना के अध्ययन करने का मुख्य उद्देश्य किसी क्षेत्र की जनसंख्या के विभिन्न आयु वर्ग विशेषकर बाल वर्ग, युवा वर्ग और वृद्ध वर्ग की संख्या को तुलना करना है कि किस वर्ग की संख्या अधिक है और क्यों अधिक है। और अगर किसी वर्ग की संख्या अधिक है या कम है तो इसके प्रभाव उस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर क्या असर डालता है।
इसको अध्ययन करने से हमे विभिन्न आयु वर्गो का क्या प्रभाव किसी देश पर पड़ता है। इसका विश्लेषण करके उनके अनुसार सरकारे जनसंख्या संबंधी नीतियां बनाती है। तथा विभिन्न आयु वर्ग का बेहतर उपयोग करके क्षेत्र को विकसित करती है।
इससे हमे कार्यशील जनसंख्या और निर्भर जनसंख्या के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
इसको अध्ययन करने से हमे जन्मदर, प्रजनन दर, उत्पादकता आबादी और आश्रितों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
आयु संरचना के प्रकार।
अद्यपि आयु वर्गो के विभाजन का कोई मानक विन्दु आयु वर्ष नहीं है। तथापि इसे 15 तथा 60 वर्ष आयु को विभाजक वर्ष माना जाता है। और इस आधार पर किसी क्षेत्र की सम्पूर्ण जनसंख्या को तीन आयु वर्गो में विभाजित किया जाता है।
- बाल आयु वर्ग।
- युवा आयु वर्ग।
- वृद्ध आयु वर्ग।
1. बाल आयु वर्ग।
इस वर्ग को युवक तथा तरुण आयु वर्ग भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत 0 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चो को सम्मिलित किया जाता है। इसे आर्थिक रूप से अनउत्पादक एवं जैविक रूप से निम्नप्रजननशील जनसंख्या भी कहा जाता है। क्योकि इसका आर्थिक क्रियाओ में योगदान नहीं होता है। तथा जैविक दृष्टि से बच्चे नहीं पैदा कर सकते है। यह जनसंख्या दूसरे के ऊपर निर्भर एवं व्ययशील होती है। इनके भोजन, कपड़ा, शिक्षा, स्वास्थ इत्यादि की व्यवस्था दूसरे वर्ग अथवा कार्यशील जनसंख्या को करना पड़ता है।
जिन देशो में जन्मदर उच्च होता है, वहाँ पर इस आयु वर्ग की संख्या अधिक होती है। और जिन देशो में जन्मदर कम होता है, वहाँ पर इनकी संख्या कम पाई जाती है। इस तरह से जन्मदर और बाल जनसंख्या में सीधा संबंध पाया जाता है।
इसका संबंध विकासशील और विकसित देशो पर भी निर्भर करता है। विकसित देशो में इसकी संख्या कम पाई जाती है। क्योकि यहां का जन्मदर कम होता है। जबकि विकासशील और पिछड़े देशो में इसकी संख्या अधिक पाई जाती है। क्योकि यहां पर जन्मदर उच्च होता है।
2. युवा आयु वर्ग।
इस आयुवर्ग को प्रौढ़ तथा वयस्क आयुवर्ग के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत 15 से 59 वर्ष के आयुवर्ग के लोगो को शामिल किया जाता है। यह आयुवर्ग आर्थिक रूप से कार्यशील होती है। इसी जनसंख्या के सहारे किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की गाड़ी चलती है। इस आयु वर्ग को उत्पादक एवं कार्यशील जनसंख्या भी कहा जाता है। क्योकि अर्थव्यवस्था में उत्पादन का कार्य इन्ही के सहारे होता है।
जिस देश में इस आयुवर्ग की संख्या अधिक होती है वह देश मानव संसाधन के रूप में सम्पन्न देश जाना जाता है। अगर कोई देश इस आयु वर्ग को सही तरिके से संसाधन के रूप में उपयोग कर ले तो उस देश को विकसित होने से कोई रोक नहीं सकता है। अधिकांश विकासशील विशेषकर भारत इस मामले में सम्पन्न है। विकसित देश में इसकी संख्या कम पाई जाती है।
ट्रीवार्था के अनुसार – युवा आयुवर्ग जैविक दृष्टि से सबसे अधिक प्रजननशील, आर्थिक रूप से सबसे अधिक क्रियाशील व उत्पादक तथा जनसांख्यकीय रूप से सबसे अधिक संचरणशील (Mobile) होती है।
यह आयुवर्ग दो आयुवर्गों का पालन पोषण करती है। बाल आयुवर्ग के भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वस्थ इत्यादि का भार उठती है। तथा वृद्ध आयुवर्ग का देख-रेख करती है।
3. वृद्ध आयु वर्ग।
इसे प्रवर नागरिक (Senior Citizens) या बड़ो की संज्ञा दी जाती है। इसके अंतर्गत 60 वर्ष से लेकर इससे अधिक आयुवर्ग को शामिल किया जाता है। इस आयु वर्ग में लोगो का शरीर धीरे-धीरे- साथ देना छोड़ता जाता है। जिससे कई शरीरिक बीमारियों से ग्रसित हो जाते है। जिसके कारण ये लोग दूसरे पर आश्रित हो जाते है। जिसके कारण इस आयुवर्ग को आश्रित या निर्भर जनसंख्या भी कहा जाता है।
जिन देशो में जीवन सम्भाव्यता अधिक होती है। उन देशो में इसकी संख्या अधिक पाई जाती है। इस दृष्टि से ज़्यदातर विकसित देशो में जीवन सम्भाव्यता अधिक होती है अतः इन देशो में वृद्ध आयु वर्ग के लोगो की संख्या अधिक होती है।
वही पिछड़े एवं विकासशील देशो में जीवन सम्भाव्यता कम होती है, जिससे इन देशो में वृद्ध आयुवर्ग के लोगो की संख्या कम होती है।
इस आयुवर्ग में पुरुषो की तुलना में स्त्रियों की संख्या अधिक होती है क्योकि स्त्रियों की तुल्ना में पुरुषो का मृत्युदर अधिक होती है। प्राकृतिक रूप में स्त्रियों के मृत्युदर से पुरुषो के मृत्युदर अधिक पाई जाती है। इस आयुवर्ग में और अधिक होती है।
आयु संरचना को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन है ?
किसी क्षेत्र की जनसंख्या के आयु संरचना को मुख्य रूप से तीन कारक प्रभावित करते है। जन्मदर, मृत्युदर और प्रवास। तीनो कारक एक दूसरे पर निर्भर है, इनमे से किसी एक कारक में परिवर्तन होता है तो बाकि दोनी कारक भी प्रभावित होता है।
(1.) जन्म दर।
जिन देशो में जन्मदर अधिक होता है, वहाँ पर बाल आयुवर्ग तथा युवा आयुवर्ग की संख्या अधिक पाई जाती है। इन देशो में जीवन सम्भाव्यता निम्न होती है, जिसके कारण वृद्ध आयुवर्ग वाले लोगो का प्रतिशत कम पाया जाता है।
इसके विपरीत जिन देशो में जन्मदर निम्न होता है। उन देशो में वृद्ध आयु वर्ग के लोगो का प्रतिशत उच्च जन्मदर वाले देशो के तुलन में अधिक पाया जाता है। क्योकि इन देशो में जीवन संभाव्यता अधिक होती है। जैसे अधिकांश विकसित देश। इसके साथ साथ इन देशो में उत्पादक जनसंख्या या 15 – 59 आयु वर्ग वाले लोगो तथा बाल आयु वर्ग वाले लोगो का प्रतिशत कम पाया जाता है।
(2.) मृत्यु दर।
भिन्न-भिन्न आयु वर्गो में मृत्यु दर अलग-अलग होती है। जिसके कारण आयु संरचना प्रभावित होती है। समान्य तौर पर बाल तथा वृद्ध आयु वर्ग में मृत्यु दर अधिक होती है। जबकि युवा आयु वर्ग में मृत्यु दर कम होती है।
बाल तथा वृद्ध आयु वर्ग के मृत्यु दर में अगर सुधार कर लिया जाता है तो बच्चों और वृद्धो के अनुपात में वृद्धि हो जाती है। और युवा आयु वर्ग के अनुपात कम हो जाता है।
(3.) प्रवास।
आयु संरचना को प्रभावित करने वाला तीसरा और महत्वपूर्ण कारक प्रवास है। प्रवास विशेष आयु वर्ग में ही देखा जाता है। वह आयु वर्ग है, युवा आयु वर्ग जिसकी आयु 15 – 59 वर्ष के बीच होती है। और ये आयु वर्ग जिस जगह से प्रवास करते है उद्द्गम स्थान तथा जिस जगह को जाते है गनतव्य स्थान में युवा आयु वर्ग के अनुपात में कमी या बढ़ोतरी कर देते है। जिससे आयु संरचना प्रभावित होती है।
उपरोक्त तीन कारको के अतितिक्त आयु संरचना को युद्ध, महामारी , प्राकृतिक विपदाएँ , सरकार की जनसंख्या नीति आदि भी प्रभावित करते है। युद्ध में विशेषकर युवा आयु वर्ग के लोग ही शामिल होते है, जिससे इसका असर इस आयु वर्ग पर पर अधिक पड़ता है। इसी प्रकार के महामारियाँ भी विशेष आयु वर्ग को प्रभावित करती है। जैसे एड्स, कोरोना, चेचक इत्यादि जिसका असर विशेष आयु वर्ग में देखने को मिलता है।
विश्व में आयु संरचना का वितरण क्या है ?
CIA – The World Fact Book के अनुसार विश्व में आयु संरचना का वितरण इस प्रकार है।
आयु वर्ग | प्रतिशत | पुरुषो की संख्या | स्त्रियों की संख्या |
0-14 वर्ष | 25.33% | 1,005,229,963 | 941,107,507 |
15-24 वर्ष | 15.42% | 612,094,887 | 572,892,123 |
25-54 वर्ष | 40.67% | 1,582,759,769 | 1,542,167,537 |
55-65 वर्ष | 09.09% | 341,634,893 | 357,176,983 |
66+वर्ष | 09.49% | 326,234,036 | 402,994,685 |
वर्ष 2020
आयु निर्भरता अनुपात क्या है ?
निर्भर जनसंख्या का अनुपात ज्ञात करना निर्भरता अनुपात कहलाता है। नर्भर जनसंख्या उस जनसंख्या को कहते है। जो अपना भरण-पोषण स्वयं नहीं कर सकते है। ये लोग कार्यशील जनसंख्या (15 -59 आयु वर्ग) पर आश्रित होते है। कार्यशील जनसंख्या ही इनकी जरूरतों, आवश्कताओ जैसे: भोजन, कपड़ा, शिक्षा, स्वस्थ इत्यादि को पूरा करते है। निर्भर जनसंख्या को व्यक्त करने की विधि निर्भरता अनुपात है।
निर्भरता अनुपात कार्यशील जनसंख्या (15 -59 आयु वर्ग ) और निर्भर जनसंख्या (0 -14 आयु वर्ग + 60 और इससे अधिक आयु वर्ग ) के बीच अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसे निम्न तीन विधियों से निकला जाता है।
(1.) कुल निर्भरता अनुपात (TDR)।
इसे निकालने के लिए कुल निर्भर जनसंख्या को कुल कार्यशील जनसंख्या से भाग देकर 100 से गुना कर दिया जाता है। इसे निम्न सूत्र की सहायता से ज्ञात करते है।
कुल निर्भरता अनुपात = {(बाल वर्ग + वृद्ध वर्ग) / युवा वर्ग }*100
(2.) युवा निर्भरता अनुपात (YDR)।
इसे निकलने के लिए कुल बाल आयु वर्ग (0-14 वर्ष) को कार्यशील जनसंख्या से विभाजित करके 100 से गुना कर दिया जाता है। इसे निम्न सूत्र की सहायता से निकलते है।
युवा निर्भरता अनुपात = (बाल वर्ग / युवा वर्ग )*100
(3.) वृद्ध निर्भरता अनुपात (ODR)।
इसे निकलने के लिए वृद्ध आयु वर्ग की जनसंख्या में कार्यशील जनसंख्या से भाग देकर 100 से गुना करके निकला जाता है। इसे निम्न सूत्र से ज्ञात करते है।
वृद्ध निर्भरता अनुपात = (वृद्ध वर्ग / युवा वर्ग )*100
जहाँ पर * = गुना है।
विश्व में निर्भरता अनुपात।
CIA – The World Fact Book के अनुसार विश्व में निर्भरता अनुपात का वितरण इस प्रकार है।
निर्भरता अनुपात | प्रतिशत |
कुल निर्भरता अनुपात | 53.3% |
युवा निर्भरता अनुपात | 39.0% |
वृद्ध निर्भरता अनुपात | 14.3% |
वर्ष 2020