जनसंख्या वृद्धि की प्रवृति का अर्थ यह है कि, जनसंख्या में अलग-अलग काल (समय) के में जनसंख्या के धनात्मक परिवर्तन से है। जबसे मानव ने इस पृथ्वी पर जन्म लिया है (20 लाख वर्ष से 50 लाख वर्ष पूर्व आरम्भिक मनुष्य के पूर्वज और, आदि मानव (homosapiens) 10 हजार से 20 लाख वर्ष पूर्व ) तब से लेकर वर्तमान समय तक जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। जिसके कई कारण है। कभी जन्मदर अधिक तो, कभी मृत्युदर अधिक तो ,कभी दोनों बराबर।
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विश्व में वर्तमान जनसंख्या की वृद्धि
वर्तमान समय में UN world population prospects 2019 के अनुसार 1 जुलाई 2019 में विश्व की जनसंख्या 7.71 अरब थी। और 1 जुलाई 2020 तक आते-आते इस जनसंख्या में 8.13 करोड़ जुड़कर 7.79 अरब हो जाएगी। जिसका वृद्धि दर 1.05 प्रतिशत है। किन्तु जनसंख्या के आकर बड़ा होने से, यह लगभग आठ करोड़ तेरह लाख बढ़ जाएगी।
प्राचीन काल में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृति
सभ्यता के आरम्भिक चरणों में विश्व की जनसंख्या बहुत धीमी गति से बढ़ी है। जिसका मुख्य कारण जनसंख्या का आकर छोटा होना है। तथा जन्मदर और मृत्युदर उच्च एवं लम्बे समय तक बराबर रहना है। जिसके कारण लम्बे समय तक जनसंख्या में वृद्धि नहीं के बराबर हो रही थी।
8000 से 12000 ईसा पूर्व में कृषि कार्य प्रारंभ हुआ था। इस समय विश्व की जनसंख्या लगभग 80 लाख थी। इस समय मानव पूर्ण रूप से प्रकृति से नियंत्रित था। मानव का प्रभाव प्रकृति पर नगण्य था। जन्मदर और मृत्युदर दोनों ऊंची थी। जितने जन्म ले रहे थे उतने के आस-पास लोगो की मृत्यु भी हो जा रही थी। जिसके कारण जनसंख्या बहुत धीमी गति से बढ़ रही थी। जिसकी पुष्टि इस बात से की जा सकती है कि, ईसा के जन्म के समय विश्व की कुल जनसंख्या मात्र 25 करोड़ थी।
ईसा के जन्म से 1600 ई० सन तक विश्व की जनसंख्या में 25 करोड़ वृद्धि हुई। और कुल जनसंख्या 50 करोड़ हो गई इस समय भी जनसंख्या वृद्धि दर बहुत धीमी थी। जिसका मुख्य कारण महामारी, अकाल, युद्ध, भोजन की अनिश्चित्ता इत्यादि। जन्मदर और मृत्युदर में विशेष अंतर नहीं थी किन्तु जन्मदर मृत्युदर से अधिक थी।
आधुनिक काल में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृति के कारण
सोलहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी में व्यापर युग आरंभ हुआ। और 1750 के आस-पास औद्योगिक क्रांति के बाद विश्व जनसंख्या में विस्फोटक रूप से वृद्धि हुई। भाप के इंजन के अविष्कार से उद्योग तथा परिवहन को ऊर्जा प्राप्त होने लगी। यंत्रीकरण से कृषि तथा उद्योग में सुधर हुआ। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विकास से जीवन स्तर ऊँचा उठाने लगा। चिकित्सा सुविधाओं तथा स्वच्छता में सुधर, महामारियों और अन्य संक्रामक बीमारियों के टीके लगाने, कई रोगों के जीवाणुओं को नष्ट करने या उन्हें कम करने से लगभग सभी देशों में मृत्युदर में तेजी से कमी आई और जनसंख्या वृद्धि में विस्फोट हुआ।
आधुनिक काल में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृति
जहाँ जनसंख्या वृद्धि औद्योगिक क्रांति समय लगभग 0.12 प्रतिशत थी वही 1930 में 1.0 प्रतिशत और 1960 तक यह 2.1 प्रतिशत हो गई। 2000 ई० तक पुरे विश्व की जनसंख्या 6 अरब हो गई। 400 वर्षो में विश्व की जनसंख्या में विश्व की जनसंख्या में 5.5 अरब की बढ़ोतरी हुई।
जनसंख्या की यह वृद्धि दर विश्व समुदाय को सोचने पर विवस किया। अनेक विकसित देशो ने तुरंत इस पर ध्यान दिया। विकासशील देशो में जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण जारी है। 1960 से 2000 ई० तक जनसंख्या वृद्धि में कमी आई है। 2000 -05 ई० के समय विश्व जनसंख्या वृद्धि दर 1.4 प्रतिशत थी। वृद्धि दर में कमी जारी है वर्तमान समय 2020-21 ई० में यह घटकर 1.05 प्रतिशत हो गई और जनसंख्या 7.79 करोड़ (1 जुलाई 2021) हो जाएगी, 2025 ई० तक यह 8 अरब को पर कर जाएगी और अगर वृद्धि दर की गति इसी तरह रही तो 2042-43 ई० तक पुरे विश्व की जनसंख्या लगभग 10 अरब के पर हो जाएगी।
मानव सभ्यता के प्रारम्भिक चरणों में जनसंख्या के अधिकृत आंकड़े उपलब्ध नहीं है फिर भी जनसंख्या में वृद्धि का अनुमान निम्न आंकड़ों से लगाया जा सकता है।
विश्व की जनसंख्या वृद्धि की प्रवृति
वर्ष | जनसंख्या |
8000 से 12000 ईसा पूर्व | 80 लाख |
ईसा के जन्म के समय | 0.25 अरब |
1600 ई० | 0.50 अरब |
1750 ई० | 0.55 अरब |
1830 ई० | 1.00 अरब |
1930 ई० | 2.00 अरब |
1960 ई० | 3.00 अरब |
1975 ई० | 4.00 अरब |
1987 ई० | 5.00 अरब |
1999 ई० | 6.00 अरब |
2011 ई० | 7.00 अरब |
2021 ई० (अनुमानित) | 8.00 अरब |
2041-42 ई० (अनुमानित) | 10.00 अरब |
विश्व जनसंख्या दोगुना होने की अवधि
जनसंख्या दोगुनी होने में लगने वाला समय सिकुड़कर छोटा होते जा झा है। इसका मतलब यह हुआ कि विश्व की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ जहि है। विश्व की जनसंख्या एक अरब होने में दस लाख वर्ष से अधिक समय लग गया था लेकिन वर्तमान समय में सात से आठ अरब होने में मात्र दस वर्ष लग रहे है। इसका मतलब यह हुआ की जनसंख्या विस्फोट गति से बढ़ रही है। निम्न तालिका के आंकड़ों से पता चलता है कि जनसंख्या कितने वर्षो में दोगुनी हो जा रही है।
विश्व जनसंख्या के दोगुना होने की अवधि
काल | जनसंख्या | अवधि |
10000 ईसा पूर्व | 50 लाख | —– |
00 ई० सन | 25 करोड़ | 10000 वर्ष |
1600 ई० | 50 करोड़ | 1600 वर्ष |
1830 ई० | 1 अरब | 230 वर्ष |
1930 ई० | 2 अरब | 100 वर्ष |
1975 ई० | 4 अरब | 45 वर्ष |
2021 ई० | 8 अरब | 46 वर्ष |
जनसंख्या परिवर्तन के स्थानिक प्रारूप
विश्व के विभिन्न भागो में जनसंख्या परिवर्तन (वृद्धि) की दर भिन्न-भिन्न है। विश्व की जनसंख्या वृद्धि दर वर्तमान समय (2020) में 1.1 प्रतिशत है तो अफ्रीका महादेश में सबसे अधिक 2.5 प्रतिशत और सबसे कम यूरोप महादेश में 0.1 प्रतिशत प्रति वर्ष है। UN world population prospectes – 2019 data booklet के अनुसार विश्व के विभिन्न भागो में जनसंख्या परिवर्तन की दर दर्शाया गया है।
महादेशो की जनसंख्या वृद्धि दर (वर्ष 2019)
विश्व एवं महादेश | जनसंख्या वृद्धि दर |
विश्व | 1.1% |
एशिया | 0.9% |
अफ्रीका | 2.5% |
उत्तरी अमेरिका | 0.7% |
दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन देश | 0.9% |
यूरोप | 0.1% |
ऑस्ट्रेलिया | 1.4% |
कुछ देशो की जनसंख्या वृद्धि दर जो अधिकतम और न्यूनतम है उसकी सूचि निम्न इस प्रकार है।
महादेश / क्षेत्र | देश (अधिक जनसंख्या वृद्धि वाले) | जनसंख्या परिवर्तन दर | देश (कम जनसंख्या वृद्धि वाले) | जनसंख्या परिवर्तन दर |
अफ्रीका | नाइजर | 3.8 | मॉरिशस | 0.2 |
इक्वेटोरियल गिनी | 3.7 | रेणिओं | 0.7 | |
यूगांडा | 3.6 | सेंट हेलेना | 0.7 | |
अंगोला | 3.3 | लेसोथो | 0.8 | |
बुरुंडी | 3.1 | eswatni(स्वाज़ीलैण्ड) | 1.0 | |
माली | 3.0 | तुनिशिया | 1.1 | |
पश्मी सहारा | 2.5 | केप वर्ड | 1.2 | |
सूडान | 2.4 | मोरोक्को | 1.3 | |
बोत्सवाना | 2.1 | सेंट्रल अफ्रीका रिपब्लिक | 1.4 | |
नामीबिया | 1.9 | साओ तोमे और प्रिन्सिपी | 1.9 | |
एशिया | बहरीन | 4.3 | सीरियन अरब रिपब्लिक | -0.6 |
ओमान | 3.6 | जॉर्जिया | -0.2 | |
मालदीव | 3.4 | जापान | -0.2 | |
अफगानिस्तान | 2.5 | रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया | 0.2 | |
ताजीकिस्तान | 2.4 | थाईलैंड | 0.3 | |
पाकिस्तान | 2.0 | चीन | 0.5 | |
तिमोर लिस्ट | 1.9 | श्रीलंका | 0.5 | |
किरगजस्तान | 1.8 | सिंगापूर | 0.9 | |
कम्बोडिया | 1.5 | भारत | 1.0 | |
मकाओ (चीन) | 1.5 | कज़ाकिस्तान | 1.3 | |
दक्षिण अमेरिका | फ़ॉकलैंड इसलैंड्स | 4.1 | वेनेज़ुएला | 1.1 |
इक्वेडोर | 1.7 | उरुग्वे | 0.4 | |
कैरिब्बिएन देश | केमन इसलैंड्स | 1.3 | पूएरीटो रीको | -3.3 |
बोनैरे | 1.3 | मर्टिनीके | -0.2 | |
सेंट्रल अमेरिका | ग्वाटेमाला | 1.9 | कोस्टा रिका | 1.0 |
बेलीज़ | 1.9 | मेक्सिको | 1.1 | |
यूरोप | लक्सेम्बर्ग | 2.0 | लाटविया | -1.1 |
आयरलैंड | 1.2 | लिथुआनिया | -1.5 | |
चैनल आइलैंड | 1.0 | बुल्गारिया | -0.7 | |
रूसियन फेडरेशन | 0.1 | रोमानिया | -0.7 | |
स्लोवाकिया | 0.1 | क्रोएशिया | -0.6 | |
स्पेन | 0.0 | बोनिअ एंड हज़ेगोविना | -0.9 | |
उत्तरी अमेरिका | कनाडा | 0.9 | संट पिअर एंड मइकेलोन | -0.7 |
USA | 0.6 | बरमूडा | -0.4 | |
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिआ | 1.3 | ——- | —– |
नूज़ीलैण्ड | 0.9 | —— | ——- | |
ओशिनिया | —- | 1.8 | —— | —— |
उपरोक्त तालिकाओं के आंकड़ों से यह पता चलता है कि विश्व के विकसित देशो के जनसंख्या वृद्धि दर बहुत ही कम है। वही विकाशील देश के जनसंख्या वृद्धि दर मध्यम और पिछड़े देशो का जनसंख्या वृद्धि सबसे अधिक है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक विकास में ऋणात्मक सह संबंध पाया जाता है।