पर्वत ( Mountain )

पर्वत ( Mountain )

नमस्कार दोस्तों ! आज हमलोग इस लेख में भौतिक भूगोल एक और महत्वपूर्ण एवं रोचक विषय-वस्तु के बारे में जानेंगे जिसका नाम है पर्वत ( Mountain ) आप सभी विश्व के महत्वपूर्ण पर्वतो से परिचित होंगे।जैसे:- हिमालय, रोकी, एंडीज, आल्पस, अरावली आदि। क्या आप जानते है पर्वत किसी कहते है ? इसका निर्माण कैसे होता है ? यह कितने प्रकार के होते है ? इसके रूप कौन-कौन से होते है ? पर्वतो का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है ? आदि। तो आइये जानते है पर्वतो से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को।

पर्वत क्या है ? या पर्वत किसे कहते है ?

समान्य रूप से पर्वत उस भू-आकृति को कहा जाता है जो आस-पास के क्षेत्रो से ऊँचा हो, जसका शीर्ष नुकीला एवं कम क्षेत्र और आधार अधिक विस्तृत हो तथा किनारो का ढाल तीव्र हो। यह इतना ऊँचा हो, ( लगभग 600 मीटर से अधिक ) कि दूर से ही स्पष्ट दिखाई देता हो। इसे पहाड़ या पहाड़ी भी कहा जाता है। यह द्वितीय श्रेणी का महत्वपूर्ण भू-आकृति होता है। सम्पूर्ण धरातल का लगभग 27 प्रतिशत भूभाग पर इसका विस्तार पाया जाता है।


” पर्वत स्थल के ऐसे पुंज ( समूह ) है, जो पर्याप्त उँचाई के कारण अपने पास-पड़ोस की अपेक्षा अत्यंत स्पष्ट होते है ,किन्तु उनके शीर्ष पर के तल का विस्तार अधिक नहीं होता है। “

— सैलिसबरी

पर्वतो के रूप

हम पर्वतो को कई रूपों में जानते है जैसे:- पर्वत कटक, पर्वत श्रेणी, पर्वत शृंखला, पर्वत तंत्र, पर्वत वर्ग, पर्वत समूह, पर्वत शिखर पहाड़ी इत्यादि।

पर्वत कटक ( Mountain Ridge )

संकीर्ण एवं ऊँचे पहाड़ियों के श्रेणियों को पर्वत कटक कहते है। इसका निर्माण चट्टानों के संस्तरों के मुड़ने या वलन पड़ने से होता है।

पर्वत श्रेणी ( Mountain Range )

एक ही काल या समय तथा एक ही प्रक्रिया से विकसित पर्वतो एवं पहाड़ियों के समूह को पर्वत श्रेणी कहा जाता है। जिसमे एक ही कर्म में कई कटक, शिखर, एवं घाटियाँ सम्मिलिय पाई जाती है। जैसे हिमालय पर्वत के तीन श्रेणियाँ – वृहत, लघु एवं शिवालिक श्रेणी।

पर्वत शृंखला ( Mountain Chain )

विभिन्न युगों में निर्मित लम्बे एवं संकरे पर्वतो का विस्तार समानान्तर रूप में पाया जाता है तो उसे पर्वत शृंखला या पर्वतमाला कहा जाता है। जैसे:- हिमालय पर्वतमाला, अप्लेशियन पर्वतमाला आदि।

पर्वत प्रणाली ( Mountain System )

एक ही युग में निर्मित विभिन्न पर्वत श्रेणियों के समूह को पर्वत प्रणाली या पर्वत तंत्र कहा जाता है।

पर्वत वर्ग ( Mountain Group )

जब किसी क्षेत्र की कटक तथा श्रेणियाँ पर्वतमाला की तरह विस्तृत होती है किन्तु माला की तरह एक ही सीध में लम्बी रेखा में विस्तृत न होकर असमान रूप से फैली होती है तो उन्हें पर्वत वर्ग या पर्वत समुदाय कहा जाता है।

पर्वत समूह ( Cordillera )

किसी पर्वत वर्ग के समूह को पर्वत समूह कहा जाता है। इसमें भिन्न-भिन्न युगो में निर्मित पर्वत श्रेणियां, पर्वत तंत्र, पर्वत शृंखला आदि पाए जाते है। इसे पर्वत प्रदेश भी कहा जाता है। इसकी व्यवस्था कई प्रकार के हो सकती है। कहीं क्रम में तो कई समानांतर तो कही पर्वतीय गांठो के चारो ओर। दो पर्वत श्रेणियों के मध्य घाटी या पठार का विकास होता है।

पर्वत चोटी ( Mountain Peak )

किसी पर्वत का सबसे ऊपरी भाग को पर्वत चोटी या पर्वत शिखर कहा जाता है। एक पर्वत श्रेणी में कई पर्वत चोटियां हो सकती है। जैसे महान हिमालय में माउन्ट एवरेस्ट, कंचनजुंगा, धौलागिरी, नंदादेवी, मकालू, नामचाबरुआ आदि।

पहाड़ी ( Hill )

कम ऊंचाई वाले पर्वतो को पहाड़ी कहा जाता है। जिसकी औसत ऊँचाई 600 मीटर से कम हो। पहाड़ी प्रकृतिक एवं कृत्रिम दोनों तरह के हो सकते है।

पर्वतों का निर्माण कैसे होता है ?

पर्वतो के निर्माण के लिए कई कारक उत्तरदाई होते है। जिसमे से कुछ कारक निम्नलिखिल इस प्रकार है।

  • भूगर्भिक प्लेटो का अभिसरण – जब दो प्लेट आपस में अभिसारित होकर टकराती है तो कम घनत्व वाले प्लेट का अग्रभाग में वलन पड़ने लगता है और यही वलन कालांतर में पर्वत का रूप धारण कर लेता है। जब दोनों प्लेट का घनत्व कम होता तब दोनों प्लेटो के अग्र भाग में अभिसरण क्रिया के कारण पर्वतो का निर्माण होता है।
  • ज्वालामुखी क्रिया – ज्वालामुखी क्रिया के कारण इससे निकलने वाले पदार्थो के विशेषकर लावा का जमाव से कई प्रकार के ज्वालामुखी पर्वतो का निर्माण हुआ है।
  • धरातल का उत्थान – पृथ्वी के धरातल में असंतुलन होने से तथा आंतरिक शक्तियों के कारण कुछ क्षेत्र, आस-पास के क्षेत्रो से ऊपर उठ जाता है और जब इसमें अपरदन का कार्य तीव्र गति से होता है तो यह उत्थित भूखंड पर्वत का रूप धारण कर लेता है।
  • भ्रंश के कारण – धरातल में तनाव या दबाव के कारण धरातल का कुछ हिस्सा नीचे धस जाता है तथा कुछ हिस्सा ऊपर उठ जाता है। ऊपर उठे भाग बाद में पर्वत का रूप धारण कर लेता है।

पर्वतो का वर्गीकरण

विश्व में जितने भी पर्वत है उन पर्वतो को विशेष रूप से दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है।

पर्वतो के प्रकार
पर्वतो के प्रकार
  1. निर्माण प्रक्रिया के आधार पर।
    1. मोड़दार पर्वत।
    2. भ्रंश/खंड/अवरोधी पर्वत।
    3. ज्वालामुखी पर्वत।
    4. अवशिष्ट पर्वत।
  2. उत्पत्ति काल के आधार पर।
    1. कैम्ब्रियन काल से पूर्व की पर्वते।
    2. कैलिडोनियन काल की पर्वते।
    3. हरसीनियन काल की पर्वते।
    4. अल्पाइन काल की पर्वते।

( I ) निर्माण प्रक्रिया के आधार पर पर्वतो का वर्गीकरण

सभी पर्वत एक ही निर्माण प्रक्रिया के द्वारा नहीं बने है। सभी की निर्माण प्रक्रिया अलग-अलग होती है। समान्य रूप में इसका निर्माण धरातल में क्षैतिज दबाव य संपीड़न, तनाव या खिचाव, ज्वलमुखी से निकलने वाले पदार्थो के जमा होने से , धरातल के उत्थान एवं अपरदन होने आदि कई कारण से हो सकते है।

किसी पर्वत के निर्माण में सिर्फ और सिर्फ एक ही प्रक्रिया भाग नहीं लेती किन्तु इसमें एक ही प्रक्रिया का योगदान अधिक होता है और उसी आधार पर पर्वतो का वर्गीकृत किया जाता है। इस आधार पर पर्वतो को चार वर्गों में विभाजित किया जाता है।

1. मोड़दार पर्वत ( Folded Mountain )

इन पर्वतो का निर्माण भूसंतियों य समुद्री तलछट्टों में वलन पड़ने से होता है, तो उसे मोड़दार पर्वत कहते है। इसे वलित पर्वत भी कहा जाता है। छिछले, लम्बे एवं संकरे सागर को भूसन्नति कहा जाता है। भूसन्नति की परतदार चट्टानों में पार्श्विक संपीड़न बल के द्वारा इसका निर्माण होता है।

इन पर्वतो का आकार चापाकार होता है एवं एवं इनकी चट्टानों में छिछले सागर में रहने वाले जीवों के जीवाश्म पाए जाते है। ये मुख्यता परतदार चट्टानों से बने होते है। यह विश्व के सर्वाधिक क्षेत्रो में विस्तृत है।

एशिया में हिमालय, आराकाना, सुलेमान, हिन्दुकुश, जैग्रोस, एल्बुर्ज, पोंटिक, तोरस, काराकोरम, क्यूनलुन, आदि महत्वपूर्ण है। इसमें हिमालय की ऊंचाई सबसे अधिक है। हिमालय पर्वत शृंखला विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है।

यूरोप में काकेशस, बाल्कन, कार्पेथियन, आल्पस, डिनारिक, एपीनाईन, परिनीज, केन्टाब्रियन, आदि प्रमुख मोड़दार पर्वत है। इसमें से काकेशस यूरोप की सबसे ऊँची पर्वत शृंखला है। दूसरे स्थान पर आल्पस का नाम आता है।

अफ्रीका महाद्वीप में एटलस, उत्तरी अमेरिका में रॉकी, दक्षिणी अमेरिका में एंडीज और आस्ट्रिलिया में ग्रेट डिवाइडिंग रेंज ऊँची एवं महत्वपूर्ण मोड़दार पर्वत है। एंडीज पर्वत दुनियां की सबसे लम्बी पर्वतमाला है। जिसकी लम्बाई लगभग 7000 किमी है।

2. भ्रंश/खंड/अवरोधी पर्वत ( Block Mountain )

जब दो भ्रंश तलो के सहारे कोई भूखंड ऊपर उठ जाता है तो उस उठे हुए भूखंड को भ्रंशोत्थ पर्वत या खंड या अवरोधी पर्वत कहते है। इन पर्वतो के दोनों किनारे तीव्र या खड़ी ढाल वाले होते है। जिसे भ्रंश कगार कहा जाता है।

भारत में सतपुड़ा की पहाड़ी, नीलगिरि की पहाड़ी, जर्मनी में हार्ज एवं ब्लैक फॉरेस्ट, फ्रांस में वोस्जेज, अमेरिका में वासाज रैंज, पाकिस्तान में सॉल्ट रेंज भ्रंश पर्वत के प्रमुख उदाहरण है। अमेरिका में कैलिफोर्निया का सियरा नेवादा विश्व के सर्वाधिक विस्तृत ब्लॉक पर्वत है।

3. ज्वालामुखी पर्वत ( Volcanic Mountain )

इनका निर्माण ज्वालामुखी क्रिया के फलस्वरूप उससे निकलने वाले लावा के जमा होने से होता है। अनेक ज्वालामुखी पर्वतो का निर्माण समुद्री नितल पर भी हुआ है जिसकी चोटियाँ द्वीपों के रूप में समुद्र से बाहर दिखाई देता है। जैसे हवाई द्वीप, एल्यूशियन द्वीप समूह आदि।

विश्व का सबसे ऊँचा जवालामुखी पर्वत चिली का एकांकगुआ ( 7021 मीटर ) है। इक्वेडोर का कोटोपैक्सी ( 5897 मीटर )विश्व का सबसे ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी पर्वत है। इक्वेडोर का चिम्बोराजो ( 6272 मीटर ), अफ्रीका का किलीमंजारो ( 5895 मीटर ) एवं केन्या ( 5194 मीटर ) अन्य महत्वपूर्ण एवं ऊँची ज्वालामुखी पर्वत है। उत्तरी अमेरिका में कैस्केड श्रेणी में अनेक ज्वालामुखी पर्वत है।

4. अवशिष्ट पर्वत ( Residual or Relict or Dissected Mountain )

जब कोई पर्वत, पठार अपरदन के प्रक्रमों के द्वारा अपरदित करके पर्वतो का रूप धारण कर लेता है तो वैसे पर्वतो को अवशिष्ट पर्वत कहा जाता है। इस प्रकार के पर्वत सम्प्राय मैदान में देखे जा सकते है।

भारत में अरावली, सतपुड़ा, विंध्याचल, पूर्वी तथा पश्चिमी घाट, यूरोप में यूराल, स्कॉटलैंड की पहाड़ियाँ एवं पेनाइन श्रेणी, अमेरिका के मोनेडनॉक आदि इसके प्रमुख उदाहरण है।

( II ) उत्पत्ति काल के आधार पर पर्वतो का वर्गीकरण

विश्व के अलग-अलग क्षेत्रो में अलग-अलग काल में पर्वतो का निर्माण हुए है। इस आधार पर विश्व के सम्पूर्ण पर्वतो को चार वर्गों में बांटा जाता है।

1. कैम्ब्रियन काल से पूर्व की पर्वते

इस क्रम के पर्वतो का निर्माण कैम्ब्रियन काल से पहले हुआ है। यह काल लगभग 500 मिलियन वर्ष ( 50 करोड़ वर्ष पूर्व ) से पहले हुआ है। इसका निर्माण अति रूपांतरित शैलो द्वारा हुआ है एवं इसका इतना अधिक अनाच्छादन हुआ है कि इसका पर्वतीय रूप समाप्त हो गया है।

उत्तरी अमेरिका में लॉरेशियन पर्वत, एल्गोयान पर्वत, किलरनियन पर्वत, स्कॉटलैंड का उत्तरी-पश्चिमी उच्च भाग एवं एंजेल्सि में प्री-कैम्ब्रियन पर्वत के लक्षण पाए जाते है।

2. कैलिडोनियन काल की पर्वते

सिलुरियन, डेवोनियन एवं पर्मियन काल के पर्वतो का इस काल का अंतर्गत रखा जाता है। ये सभी काल पेल्योजोइक महाकल्प के अंतर्गत आते है। स्कॉटलैंड के प्राचीन पर्वत कैलिडोनिया के आधार पर इस समय में निर्मित सभी पर्वतो को कैलिडोनियन क्रम के पर्वत कहा जाता है।

इस समय यूरोप के स्कॉटलैंड, आयरलैंड, स्कैंडिनेविया के पर्वत, उत्तरी अमेरिका में अप्लेशियन पर्वत, दक्षिण अमेरिका में ब्रजीलैड्स, भारत में अरावली, महादेव, सतपुड़ा इस क्रम के प्रमुख पर्वत श्रेणी है। जो घर्षित होकर अवशिष्ट पर्वतो में परिवर्तित हो गया है।

3. हर्सीनियन काल की पर्वते

इस पर्वतीकरण का काल पर्नियन युग के है। इसे तृतीय पर्वतीयकरण क्रम भी कहा जाता है। लगभग 27 करोड़ वर्ष पूर्व इस क्रम के पर्वतो का विकास हुआ है। जर्मनी के हार्ज पर्वत के आधार पर इस पर्वतीकरण को हर्सीनियन पर्वतीकरण कहा जाता है।

इस क्रम के पर्वतो का विकास सबसे अधिक यूरोप व उत्तरी अमेरिका के अप्लेशियन पर्वतो में हुआ है। उत्तरी अमेरिका में अप्लेशियन पर्वत, यूरोप में फ़्रांस के आर्मोरिकन, सेंत कैसिफ, वोस्जेज, ब्लैक फॉरेस्ट, एशिया में अल्टाई, टीएनशान, ननशान आदि इसके उदाहरण है।

4. अल्पाइन काल के पर्वते

इस क्रम के पर्वतो का निर्माण टर्शियरी काल में हुआ है। इसे चतुर्थ क्रम के पर्वतीकरण कहा जाता है। इस काल के पर्वत सबसे नवीनतम एवं सबसे ऊँचे मोड़दार पर्वत है।

उत्तरी अमेरिका का रॉकी, दक्षिणी अमेरिका का एंडीज, यूरोप का आल्पस ( आल्पस, कार्पेथियन, पिरेनीज, बाल्कन, काकेशस, एपिनाइन, डिनारिक आदि ) अफ्रीका का एटलस, एशिया का हिमालय एवं पामीर की गांठ से निकलने वाले सभी पर्वत ( जैग्रोस, एल्बुर्ज, क्युंलुन आदि ), म्यांमार का अराकान योमा एवं पूर्वी एशिया के मोड़दार पर्वत का निर्माण इसी क्रम के तहत हुआ है।

1 thought on “पर्वत ( Mountain )”

Leave a Comment

Scroll to Top