नमस्कार दोस्तों ! आज के इस लेख में हमलोग भारतीय अपवाह तंत्र के अंतर्गत ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र के बारे में जानेंगे। हिमालय पर्वत शृंखला से निकलने वाली नदियों को तीन प्रमुख नदी तंत्रो में विभाजित किया किया जाता है, गंगा नदी तंत्र, ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र और सिंधु नदी तंत्र। इस लेख के माध्यम से भारत के उत्तर पूर्व में अपवाहित ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र के विभिन्न महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्यों से परिचित होंगे। इसके अंतर्गत ब्रह्मपुत्र नदी तथा इसमें समाहित होने वाली इसकी सहायक नदियों के बारे में भी जानेंगे।
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ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र क्या है ?
इसमें ब्रह्मपुत्र नदी एवं इसके सहायक नदियों के जाल को ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र कहा जाता है। इस अपवाह तंत्र का विस्तार भारत , तिब्बत ( चीन ), भूटान, नेपाल तथा बंगलादेश के लगभग 5,80,800 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। जहाँ से ब्रह्मपुत्र नदी तथा इसकी सहायक नदियाँ जल अधिग्रहण करके प्रमुख अनुवर्ती नदी ब्रह्मपुत्र नदी के द्वारा बंगाल की खाड़ी में जल पहुंचाई जाती है। भारत में ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र का अपवाह क्षेत्र लगभग 1,94.413 वर्ग किमी है।
- इन्हें भी जानें :-
- उत्तर एवं उत्तर पूर्वी पर्वतमाला।
- उत्तरी भारत का मैदान।
- प्रायद्वीपीय पठार।
- भारतीय मरुस्थल।
- तटीय मैदान। तथा
- द्वीप समूह।
इसके भारतीय अपवाह क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा के कारण इस नदी तंत्र में अनेक सहायक नदियाँ इसके दोनों तटों पर आकर मिलती है। ब्रह्मपुत्र की अधिकांश सहायक नदियाँ भारत के असम घाटी में मिलती है। भारतीय अपवाहित क्षेत्र से पहले इस नदी तंत्र में बहुत कम एवं छोटी- छोटी सहायक नदियाँ इसमें मिलती है। जहाँ इस नदी तंत्र को हिमानियों से जल की प्राप्ति होती है।
वर्षा ऋतू में यह नदी तंत्र असम घाटी क्षेत्र में विकराल रूप धारण कर लेती है क्योकि इस क्षेत्र में विश्व सर्वाधिक वर्षा प्राप्त होती है। जिसके कारण यहाँ प्रमुख अनुवर्ती ब्रह्मपुत्र नदी की चौड़ाई कहीं-कहीं 10 किमी से भी अधिक हो जाती है। अत्यधिक वर्षा के कारण इस नदी तंत्र की नदियों में अत्यधिक जल के साथ-साथ अत्यधिक मात्रा में अवसाद या गाद अपवाहित होती है। जिसके कारण इसके मार्गों में परिवर्तन होते रहती है। और अपवाहित क्षेत्र में बाढ़ का सामना करना पड़ता है।
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र की नदियाँ कौन-कौन सी है।
इस नदी तंत्र में ब्रह्मपुत्र नदी प्रमुख अनुवर्ती नदी है। जिसके कारण इस नदी तंत्र का नाम ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र रखा गया है। असम घाटी में पासीघाट के नीचे ब्रह्मपुत्र नदी में अनेक सहायक नदियां आकर मिलती है। इसके दाहिने तट पर सुबनसिरी, भरेली, मानस, तीस्ता, संकोश तथा रंडक इत्यादि जबकि इसके बाएं तट पर दिबांग या दिहिंग या सिकंक, लोहित और बूढी दिहांग, पूर्व से आकर एवं धनश्री, कलाँग और कपिली इसके बाएं तट पर आकर मिलती है।
इस नदी तंत्र का प्रमुख नदियाँ निम्नलिखित इस प्रकार है।
( 1 ) ब्रह्मपुत्र नदी
ब्रह्मपुत्र नदी को कई नमों से जानी जाती है। जैसे :- त्संगपो या संगपो ( तिब्बत में ), सिशंग या दिशंग ( अरुणाचल प्रदेश -भारत ), ब्रह्मपुत्र ( असम घाटी में -भारत ), यमुना ( बांग्लादेश में ) आदि। इस नदी को उद्गम स्थल से लेकर संगम स्थल तक विवरण चार क्षेत्रो में कर सकते है। जो निम्न इस प्रकार है।
तिब्बत में अपवाह क्षेत्र
इस नदी का उद्गम तिब्बत ( चीन ) के कैलाश पर्वत श्रेणी में मानसरोवर झील के निकट चेमयुंगडुंग हिमनद से हुआ है। इसकी कुल लम्बाई 2900 किमी है। भारत में ब्रह्मपुत्र नदी की लम्बाई 916 किमी है। हिमालय क्षेत्र से निकलने वाली सबसे लम्बी नदी है। यह नदी अपने उद्गम स्थान से हिमालय के उत्तर में समानांतर पूरब की ओर शुष्क एवं समतल मैदानी प्रदेश में लगभग 1200 किमी प्रवाहित होती है। इस क्षेत्र में इसे त्सांग्पो या सांगपो ( Tsangpo ) के नाम से जनि जाती है। इस क्षेत्र में ‘रागोंसांगपो’ प्रमुख सहायक नदी है। जो ब्रह्मपुत्र के दाहिने तट पर मिलती है।
हिमालय में अपवाह
यह नदी हमें हिमालय के नामचा बरवा ( 7755 मीटर ) पर्वत चोटी के निकट हिमालय प्रदेश में प्रवेश करती है तथा अरुणाचल प्रदेश के दिहांग महाखड्ड को पार करके हिमालय से बाहर निकलती है। जहाँ इसे हिमालय के गिरिपद में सिशंग या दिशंग के नाम से जानी जाती है। भारत में यह नदी अरुणाचल प्रदेश राज्य के सादिया कस्बे के पश्चिम में प्रवेश करती है। यहाँ से यह नदी दक्षिण- पश्चिम की ओर बहती है। जहाँ इसके बाएं तट पर इसकी सहायक नदी दिबांग या सिकांक और लोहित इसमें मिलती है। इसके बाद इस नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है।
असम घाटी में अपवाह
इसके बाद यह असम घाटी में लगभग 750 किमी की दूरी तैय करती है। इस क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा के कारण इसमें कई सहायक नदियाँ मिलती है। इसके बाएं तट पर प्रमुख सहायक नदियाँ बूढी दिहांग और धनश्री मिलती है। तथा दाएं तट पर सुबनसिरी, कामेंग, मानस और संकोश प्रमुख सहायक नदियां मिलती है। इस क्षेत्र यह नदी अत्यधिक बाढ़ लती है। इसके साथ-साथ यह अपने मार्ग भी परिवर्तित करते रहती है। इस मैदानी क्षेत्र में यह अपने तट कटाव लिए जानी जाती है। इसी क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ी नदी द्वीप ‘माजुली’ ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित है।
बंगलादेश में अपवाह
यह नदी असम के धुबरी के बाद इसकी दिशा दक्षिण की ओर हो जाती है और बंगलादेश में प्रवेश करती है यहाँ इसके दहिने तट पर तीस्ता नदी आकर मिलती है। इसके बाद इसे बंगलादेश में जमुना नदी के नाम से जानी जाती है। अंत में यह पद्मा नदी में मिल जाती है। ( बांग्लादेश में गंगा नदी को पद्मा के नाम जानी जाती है। )और बाद पद्मा नदी बंगाल की खाड़ी में मिलने से पहले गंगा ब्रह्मपुत्र नामक विश्व का सबसे बड़े ढलते का निर्माण करती है। जहाँ फिर यह नदी कई धाराओं में विभक्त हो जाती है। जैसे:- मधुमती, पद्मा, सरस्वती, हुगली तथा भागीरथी आदि प्रमुख है।
( 2 ) तीस्ता नदी
ब्रह्मपुत्र नदी के दाएं तट पर मिलने नाली अंतिम बड़ी सहायक नदी है। इसका उद्गम सिक्किम में कंचनजुंगा के पाउहुनरी हिमनदी, जेमू हिमनद, चोलामु सरोवर आदि से 7068 मीटर के उचाई से हुआ है। इसकी लम्बाई लगभग 309 किमी तथा अपवाह क्षेत्र 12,540 वर्ग किमी है। इसकी सहायक नदियाँ रांगपो, लाचूं , रंगीत, दिक छू, रानी खोल आदि प्रमुख है।
( 3 ) रंगीत नदी
यह नदी तीस्ता की प्रमुख सहायक नदी है। यह पश्चिमी सिक्किम से निकलती है और पश्चिम बंगल में तीस्ता बाजार के समीप त्रिवेणी नामक स्थान में मिल जाती है। इस नदी में अनेक जल क्षिप्रिकाएँ के लिए जनि जाती है। जिसके कारण यह पुरे विश्व में जल क्रीड़ा ‘रॉफ्टिंग’ के लिए जानी जाती है।
( 4 ) सुबनसिरी नदी
यह ब्रह्म पुत्र नदी तंत्र की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यह नदी तिब्बत क्षेत्र के हिमालय से निकलकर दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए असम के लखीमपुर जिले में ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है। अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी भाग या पर्वतीय भाग में ऊपरी सुबनसिरी तथा नीचले मैदानी क्षेत्रोंमें निचली सुबनसिरी के नाम से जानी जाती है। इसकी लम्बाई लगभग 442 किमी है। यह नदी मिरि पहाड़ियों और अबोर पहाड़ियों के बीच में प्रवाहित होती है।
( 5 ) मानस नदी
यह एक पूर्ववर्ती नदी है जो तिब्बत से निकलकर वृहत हिमालय में महाखड्ड का निर्माण करते हुए दक्षिण दिशा में प्रवाहित होती है। यह तिब्बत से भूटान और उसके बाद असम के मैदानी प्रदेश में प्रवेश करते हुए गोपालपारा के निकट ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है। यह भूटान का सबसे बड़ी नदी तंत्र है। इसकी कुल लम्बाई 376 किमी है जिसमे से 272 किमी भूटान तथा 104 किमी भारत में प्रवाहित होती है।
( 6 ) लोहित नदी
इस नदी का उद्गम तिब्बत के पूर्वी भाग में जयाल छू पर्वत श्रेणी होता है। और यह अरुणाचल प्रदेश में दिबांग नदी के साथ सिशंग या दिशंग ( अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय प्रदेश में ब्रह्मपुत्र को सिशंग या दिशंग के नाम से जानी जाती है। ) में मिल जाती है। इसके बाद सिशंग या दिशंग नदी ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जानी जाती है। इसकी कुल लम्बाई 191 किमी है।
लोहित का अर्थ ‘खून या लहू’ होता है। इस नदी का जल आंशिक रूप से लाल दिखाई देता है क्योकि इसके प्रवाह क्षेत्र में इस प्रकार अर्थात लाल प्रकार की मिटटी एवं चट्टाने पाई जाती है। इसी नदी के नाम पर अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले का नामकरण किया गया है।
लोहित नदी पर भारत का सबसे लम्बा पूल भूपेन हजारिका पुल ( ढोला सादिया पुल ) का निर्माण किया गया है। जो असम के ढोला और अरुणाचल प्रदेश के सादिया को जोड़ता है। इस पुल की लंबाई 9.15 किलोमीटर और चौड़ाई 12.9 मीटर है।