नमस्कार दोस्तों ! आज हमलोग इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से धरालत के द्वितीय क्रम के उच्चावच पर्वत, पठार और मैदान में से मैदानके बारे में जानेंगे कि, मैदान किसे कहते है ? या मैदान क्या होता है ?, इसका निर्माण एवं विकास कैसे होता है ?,यह कितने प्रकार के होते है ?, इसका वर्गीकरण के कौन-कौन से आधार है ?, इसका वर्गीकरण क्या है ?, विश्व के प्रमुख मैदान कौन-कौन से है ? आदि इससे जुड़े कई पहलुओं को जानेंगे।
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मैदान किसे कहते है ? या मैदान क्या होता है ?
यह धरातल की समतल एवं काम ऊंचाई का एक उच्चावच है जिसकी औसत ऊंचाई 200 मीटर से कम तथा स्थानीय ढाल अत्यंत मंद होता है। यह आस-पास के पर्वतो तथा पठारों से कम उचाई के होते है। यह सागर तल से ऊँचे और नीचे हो सकते है, जैसे- हालैंड का तटीय मैदान सागर तल से नीचे है, जबकिअमेरिका के मिसीसिपी मैदान के पूर्वी भाग की औसत ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 462 मीटर ऊँचा है।
समान्य रूप से मैदान समतल एवं सपाट होते है, किन्तु अपरदन के कारण यह तरंगित एवं लहरदार हो सकते है। जिसका निर्माण मुख्य रूप से अपरदन के दूतों या बहिर्जनित बलों जैसे प्रवाहित जल, हवा, हिमानी, भूमिगत जल, सागरीय लहरें आदि के अपरदन और निक्षेपण कार्यो के द्वारा किया जाता है।
सम्पूर्ण धरातल का लगभग 41 प्रतिशत भूभाग पर इसका विस्तार पाया जाता है जो अन्य द्वितीय श्रेणी पर्वत और पठार के अपेक्षा सबसे अधिक है। जहाँ पर अत्यधिक कृषि कार्य होने के कारण विश्व की अधिकांश जनसंख्या निवास करती है। विश्व के प्रमुख उपजाऊ एवं विस्तृत मैदानों में उत्तर भारत के मैदान,उत्तरी अमेरिक के ग्रेटप्लेन, नील नदी का मैदान आदि।
मैदान का उद्भव एवं विकास कैसे होता है ?
विश्व के अलग-अलग भागो में अलग-अलग प्रकार के मैदान पाए जाते है जिसका निर्माण की प्रक्रिया अलग-अलग प्रकार के होते है। जिसमे कई करक जिम्मेदार होते है जिसमे से कुछ निम्न इस प्रकार है।
- पटलविरूपणी बल के कारण सागरीय मैदान के उत्थान या निर्गमन के द्वारा वह सागर तल से ऊपर उठ जाता है तथा वह मैदान में परिणित हो जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका का ग्रेटप्लेन इसका अच्छा उदाहरण है।
- मोड़दार पर्वत के निर्माण के समय आस-पास के क्षेत्रों के धरातल में अवतलन हो जाता है जिसमे नदियों द्वारा लगातार निक्षेपण कार्य से विशाल मैदान का निर्माण होता है। जैसे- उत्तर भारत का विशाल मैदान।
- किसी भूसन्नति के दोनों अग्रभाग में पर्वतों का निर्माण होता है, किन्तु भूसन्नति के मध्य भाग में वलन की प्रक्रिया नहीं होती है जिसके कारण यह एक सपाट एवं समतल क्षेत्र के रूप में उभर कर सामने आता है और यह मध्य भाग नीचे रहे तो मैदान के रूप में जाना जाता है। जैसे- हंगरी का मैदान।
- सागर तटीय क्षेत्र में लगातार नदियों द्वारा लाये गए अवसादों को जमा करने से सागर तटीय मैदान का निर्माण होता है। जैसे- भारत के तटीय मैदान।
- सागरीय तल के नीचे गिरने से या सागर तल को वर्त्तमान तट से पीछे हटने से नए समतल क्षेत्र का विकास होता है। जैसे- भारत में कक्ष का मैदान
- एक उत्थित पठारी क्षेत्र में लगातार अपरदन के कार्य सक्रिय रहने से यह पठारी क्षेत्र घर्षित होकर मैदान में परिवर्तित हो जाता है। जिसे समप्राय मैदान के नाम से जाना जाता है।
मैदानों का वर्गीकरण
मैदानों को निम्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
- रचना के अनुसार मैदानों का वर्गीकरण ( ट्रिवार्था के अनुसार )
- समतल मैदान।
- तरंगित मैदान।
- लहरदार या उर्मिल मैदान।
- विच्छेदित या विभाजित मैदान।
- निर्माण प्रक्रिया के आधार पर मैदानों का वर्गीकरण।
- अंतर्जात बल द्वारा उतपन्न मैदान ( रचनात्मक मैदान )
- पटलविरूपणी मैदान
- अवतलन तथा निक्षेप द्वारा निर्मित मैदान।
- उत्थान द्वारा निर्मित मैदान।
- आकस्मिक घटना द्वारा निर्मित मैदान।
- ज्वालामुखी या लावा मैदान।
- पटलविरूपणी मैदान
- वहिर्जनित बल द्वारा निर्मित मैदान।
- अपरदनात्मक मैदान।
- निक्षेपात्मक मैदान।
- अंतर्जात बल द्वारा उतपन्न मैदान ( रचनात्मक मैदान )
- स्थिति के अनुसार मैदानों का वर्गीकरण।
- आंतरिक मैदान।
- सागरतटी मैदान।
मैदानों के प्रकार
मैदानों का निर्मण अलग-अलग प्रक्रिया के द्वारा होता है अतः मैदानों को कई आधारों पर वर्गीकृत किया गया है जिसमे से निर्माण प्रक्रिया के आधार पर मैदानों के निम्न प्रकार होते है।
( i ) संरचनात्मक मैदान
आंतरिक बलों के कारण जब कोई महासागरीय तली या महासागरीय मग्न तट सागर तल से ऊपर उठ जाता है और मैदान का रूप धारण कर लेता है तो उसे संरचनात्मक मैदान कहा जाता है। जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्रेटप्लेन्स, पूर्वी तटीय मैदान भारत के तटीय मैदान इसी का उदाहरण है। इन दोनों में सागरीय निक्षेप मोटी परतो के रूप में पाए जाते है। इसे पटलविरूपणी मैदान भी कहा जाता है।
( ii ) अपरदन द्वारा निर्मित मैदान
नदी, हिमानी, हवा, सागरीय लहरों जैसे अपरदन के दूतों या वहिर्जनित शक्तियों के द्वारा किसी उत्थित भूभाग को काट-छांट कर समतल मैदान में परिणित कर देते है तो इसी प्रकार के मैदान को अपरदनात्मक मैदान कहा जाता है जो निम्न प्रकार के होते है।
1. समप्राय मैदान ( Peniplain )
जब प्रवाहित जल या नदी अपने अपवाह क्षेत्र के उच्च भूमि को काट-छांट कर नीचे कर देती है और लगभग समतल एवं विस्तृत मैदान का विकास देती है तो इसे ही “समप्राय मैदान” कहा जाता है। इन मैदानों छोटे-मोटे पहाड़ी टीलों को ”मोनाडनाक” कहा जाता है। इसे नदी द्वारा निर्मित अपरदनात्मक मैदान भी कहा जाता है।
2. कार्स्ट मैदान ( Karst Plains )
जब भूमिगत जल, धरातलीय जल द्वारा चूना पत्थर के क्षेत्रो में जिसे कार्स्ट क्षेत्र भी कहा जाता है इन क्षेत्रो में अपरदन कार्य के द्वारा विकसित मैदान को कार्स्ट मैदान कहा जाता है। इसमें यत्र-तत्र अवशिष्ट टीलों को “हम्स”( Hums ) कहा जाता है। इस प्रकार के मैदान युगोस्लाविया के एंड्रयाटिक कार्स्ट प्रदेश, उत्तरी अमेरिका के फ्लोरिडा एवं यूकाटन, दक्षिणी फ़्रांस, भारत में चित्रकूट में देखने को मिलता है।
3. हिमानी अपरदित मैदान ( Glaciated Plain )
हिमानी क्षेत्रो में हिमानियों के अपरदन द्वारा उच्च भाग को घिसकर सपाट किन्तु उच्चावच युक्त मैदान का निर्माण करती है इसे ही हिमानी अपरदित मैदान कहा जाता है। इस प्रकार के मैदान में चोटियाँ गोलाकार होती है, घाटियाँ चौड़ी होती है इसमें छोटे-छोटे टीले यत्र-तत्र विखरे पाए जाते है। इस प्रकार के मैदान उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, उत्तरी पश्चिमी यूरेशिया, भारत में लद्दाख में मैदान हिमानी निर्मित मैदान है।
4. पेडीप्लेन ( Pediplain )
शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क क्षेत्रो में पवन अपरदन का कार्य काफी तीव्र गति से करती है जिससे उत्थित भूभाग घर्षित करके मैदान में परिणित कर देती है इसी प्रकार के मैदान को “पेडीप्लेन” कहा जाता है। इस प्रकार के मैदान में जहाँ-तहाँ प्रतिरोधी चट्टानों के अवशेष टीले पाए जाते है जिसे “इन्सेलबर्ग” ( Inselberg ) कहा जाता है। सहारा के मरुस्थल में रेग, सेरिर, हमादा का मैदान इसका उदाहरण है।
( iii ) निक्षेपण द्वारा निर्मित मैदान
प्रवाहित जल, हवा, हिमानी, सागरीय लहरों, भूमिगत जल के निक्षेपण कार्य द्वारा विकसित मैदान को निक्षेपात्मक मैदान कहा जाता है। जो निम्न इस प्रकार है।
1. जलोढ़ का मैदान
जब नदियाँ पर्वतीय क्षेत्र से बाहर निकलती है तो ढाल में कमि एवं जल का प्रवाह धीमी हो जाने के कारण अपने साथ बहाकर लाये गए कंकड़, पत्थर, कीचड़ आदि अवसादों को जगह-जगह पर जमा करते जाती है। इससे जिस मैदान का निर्माण होता है उसे ही जलोढ़ का मैदान कहा जाता है। निक्षेपों को अलग-अलग स्थानों पर जमा होने के कारण इसे अलग-अलग नामो से जाना जाता है।
a. पर्वतपदीय मैदान
पर्वतीय भागो से जब नदियाँ पर्वतपदीय क्षेत्रो में पहुँचती है, तो नदियाँ बड़े-बड़े कंकड़-पत्थर यही जमा कर देती है जिससे जलोढ़ शंकु एवं जलोढ़ पंख का निर्माण होता है और जब कई जलोढ़ शंकु एवं पंख आपस में मिल जाते है तब एक विस्तृत मैदान का निर्माण होता है जिसे पर्वतपदीय मैदान कहा जाता है। भारत में भाबर, तराई का मैदान इसका अच्छा उदाहरण है।
b. बाढ़ का मैदान
भाबर और तराई क्षेत्र के बाद नदियो के दोनों किनारो पर दूर तक जहाँ तक बाढ़ का जल पहुँचता है वहाँ तक महीन जलोढ़ पंको से निर्मित मैदान को बाढ़ के मैदान के नाम से जाना जाता है। लगभग सभी बड़ी नदियों की घाटियों में बाढ़ का मैदान देखने को मिलते है।
c. डेल्टाई मैदान
नदियाँ अपने मुहाने पर बचे सभी अवसादों को जो बारीक़ कण के बने होते है को जमा करते रहती है जिससे निर्मित मैदान को डेल्टाई मैदान कहा जाता है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर बना सुन्दर वन डेल्टा विश्व का सबसे बड़े डेल्टा है। इसी तरह अफ्रीका में नील नदी का डेल्टा मैदान, अमेरिका के मिसिसिपी नदी का डेल्टा मैदान इसका उदाहरण है।
2. हिमानी निक्षेपित मैदान
हिमानी क्षेत्रो में हिमानियों द्वारा मलबा के निक्षेप से बने मैदान को हिमानी निक्षेपित मैदान कहा जाता है। यह काफी विस्तृत क्षेत्रो में फैले होते है। इसकी सतह उबड़-खाबड़ एवं दलदली होती है इस कारण इसमें कृषि के लिए सर्वथा अनुपयुक्त होता है। संरचना के आधार पर इसे तीन भागो में बांटा जाता है।
a. टिल मैदान
हिमानियों द्वारा लाये गए छोटे-बड़े कणों के निक्षेप से बने मैदान को टिल मैदान कहा जाता है। इसका तल लहरदार होता है और इसमें छोटी-छोटी चोटियाँ तथा गड्ढे पाए जाते है। एस्कर, ड्रमलिन, कम जैसी स्थलाकृतियाँ देखने को मिलते है।
b. हिमोढ़ मैदान
हिमानियों द्वारा लाये गए विभिन्न प्रकार के हिमोढ़ों के निक्षेपों से बने उबड़-खाबड़ मैदान को हिमोढ़ मैदान के नाम से जाना जाता है।
c. हिमनद अवक्षेप मैदान
हिमचादरो के पिघलने से रेत, बजरी, मृतिका आदि का निक्षेप हो जाता है जिससे समतल सतह वाले मैदान का निर्माण होता है इसे ही हिमनद अवक्षेप मैदान कहा जाता है।
3. पवन द्वारा निक्षेपित मैदान
शुष्क एवं अर्धशुष्क क्षेत्रो में पवन काफी तीव्र गति से प्रवाहित होती है और अपने प्रवाह मार्ग में अपरदन के साथ-साथ निक्षेपण कार्य भी करती है। निक्षेपण कार्य से निर्मित मैदान दो तरह के होते है।
a. मरुस्थलीय मैदान
मरुस्थलीय भागों में हवा द्वारा निक्षेपित मैदान को मरुस्थलीय मैदान कहा जाता है। इसे रेतीली या रेगिस्तानी मैदान के नाम से भी जाना जाता है। इस मैदान का स्वरूप अन्य मैदानों की तरह निश्चित नहीं होता यह भी बदलते रहता है तथा मैदान की सतह भी समतल नहीं होती। अफ्रीका के सहारा, भारत के थार मरुस्थल में इस तरह के मैदान देखने को मिलते है।
b. लोयस मैदान
मरुस्थलीय भागो में आने वाली आँधियाँ अपने साथ रेत के कणो को आधीक दूर तक ले जाकर आर्द्र या अर्धशुष्क क्षेत्रो में जमा करते जाती है जिससे एक समतल मैदान का निर्माण होता है इसी ही लोयस मैदान कहा जाता है। फ्रांस के अलसस प्रान्त के लोयस नामक ग्राम के आधार पर इसका नामकरण किया गया है। चीन का लोयस मैदान विश्व प्रसिद्ध है।
( iv ) सरोवरीय मैदान
नदियों द्वारा लाये गए अवसादों से झीलों के भरने से निर्मित मैदान को सरोवरीय मैदान कहा जाता है। भारत में कश्मीर की घाटी एवं इम्फाल बेसीन सरोवरीय मैदान का सुंदर उदाहरण है यूरोप में हंगरी का मैदान, उत्तरी अमेरिका के महान झील के तटवर्ती मैदान का निर्माण इसी प्रकार से हुआ है।
( v ) लावा मैदान या ज्वालामुखी मैदान
ज्वालामुखी उद्गार से निकलने वाले लावा के जमने से बने मैदान को लावा मैदान या ज्वालामुखी मैदान के नाम से जाना जाता है। फ़्रांस, न्यूजीलैंड, आइसलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेण्टाइना में लावा निर्मित मैदान देखने को मिलते है।
( vi ) समुद्रतटीय मैदान
समुद्री लहरों के निक्षेपों से समुद्र तटीय भागो में बने मैदान को समुद्रतटीय मैदान कहा जाता है। तिमलनाडु में मरीना बीच तथा मुम्बई तट के पास जुहु बीच इसी प्रकार के मैदान है।
विश्व के प्रमुख मैदान
क्रम संख्या | मैदान | स्थिति |
1 | ग्रेटप्लेन | कनाडा तथा सं. रा. अमेरिका |
2 | अमेजन का मैदान | दक्षिण अमेरिका |
3 | पेंटागोनिया का मैदान | दक्षिण अमेरिका |
4 | पंपास का मैदान | दक्षिण अमेरिका |
5 | फ्रांस का मैदान | फ्रांस |
6 | यूरोप का बड़ा मैदान | यूरोप |
7 | दक्षिण साइबेरिया का मैदान | यूरोप एवं एशिया |
8 | सहारा का मैदान | अफ्रीका |
9 | नील नदी का मैदान | मिस्र |
10 | अफ्रीका का पूर्वी तटीय मैदान | अफ्रीका |
11 | अफ्रीका का पश्चिमी तटीय मैदान | अफ्रीका |
12 | मलागासी का मैदान | मलागासी |
13 | गंगा-यमुना का मैदान | भारत |
14 | सिंधु का मैदान | भारत-पाकिस्तान |
15 | ब्रह्मपुत्र का मैदान | भारत-बांग्लादेश |
16 | अरब का बड़ा मैदान | सऊदी अरब |
17 | चीन का मैदान | चीन |
18 | आस्ट्रेलिया का पूर्वी मैदान | आस्ट्रेलिया |
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