जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक

विश्व मे असमान रूप से जनसंख्या वितरण के पीछे कई कारक होते है उनमे से कुछ कारक निम्नलिखित है।

भौतिक कारक

उच्चावच / भू-आकृति

उच्चावच का संबंध धरातल कि बनावट से है धरातल पर पर्वत, पठार, मैदान, नदी घटियाँ विद्यमान होती है जो लोगो को बसने के लिए प्रभावित करती है।

पर्वतीय क्षेत्रो में विरल जनसंख्या पाई जाती है क्योकि वहाँ कि धरातल समतल नहीं होता, जल का आभाव या भूमिगत जल को नीचे होना, यातायात संचार सुविधाओं का विकास करना कफी कठिन होता है। भोजन के लिए कृषि कार्य करना काफी कठिन होता है।

वही मैदानी क्षेत्रो में उपरोक्त सुविधाएं विकसित होती है। जिसके कारण लोगो का बसव अधिक देखा जाता है। पठारी क्षेत्रो मे खनिज, काली मिटटी होने के कारण कुछ क्षेत्रो मे सघन जनसंख्या पाई जाती है।

जल कि उपलब्धता

सुगमता से जल उपलब्धता वाले क्षेत्र प्राचीन काल से ही लोगो के पसंदीदा वाले क्षेत्र रहे है। क्योकि जल का उपयोग पीने, नहाने, भोजन बनाने, के साथ-साथ कृषि मे, पशुओ के लिए, उद्योगो के लिए विशाल मात्रा मे उपयोग किया जाता है।

अतः जहां जल सुगमता से उपलब्ध होते है वहाँ लोग बसना पसंद करते है। इसी कारण से नदी घाटियों मे जनसंख्या प्राचीन काल से बसी या रहती है।

वर्तमान समय मे भी जितने बड़े-बड़े नगर, महानगर बसे हुए है वे किसी न किसी जल स्रोत के निकट ही बसे हुए है।

इसके विपरीत जिन क्षेत्रो मे जल की उपलब्धता सुगम नहीं होती है वहाँ जनसंख्या का वितरण नगण्य पाया जाता है। जैसे: मरुस्थलीय क्षेत्र।

जलवायु

भौतिक कारको में जलवायु भी काफी महत्वपूर्ण कारक है।

कियोकि मानव के लिए अति उष्ण एवं अति शीत जलवायु हितकर नहीं होते है। समशीतोष्ण और मानसूनी जलवायु लोगो को आकर्षित करता है। जिसके कारण लोग यहाँ अधिक संख्या मे रहते है।

विश्व के अधिकांश जनसंख्या वाले देश चीन, भारत, USA , पाकिस्तान, इंडोनेशिया इत्यादि इन्ही क्षेत्रो मे बसे है।

अत्यधिक वर्षा, हिमपात, तापमान वाले जलवायु मानव के लिए असुविधाजनक होती है। इसके कारण लोग इन क्षेत्रो को कम पसंद करते है और लोगो का कम वितरण पाया जाता है।

मृदाएँ

उपजाऊ मिटटी वाले क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त होता है इससे अनाजों का उत्पादन प्रचुर मात्रा मे होती है। लोगो का मुख्य भोजन अनाज ही होता है।

अतः लोग इन क्षेत्रो में बसने के लिए चुनते है।

इसी कारण से उपजाऊ जलोढ़ मृदा वाले नदी घाटी क्षेत्र मे अधिक लोग निवास करते है।

इसके विपरीत कम उपजाऊ वाले क्षेत्रो में अगर अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो तो लोग ऐसे क्षेत्रो में नहीं बसना चाहते है।

आर्थिक कारक

आर्थिक कारक को तीन भागो में बंटा जा सकता है। आर्थिक कारण से जनसंख्या का स्थनांतरण अधिक मात्रा में देखने को मिलता है।

और यह स्थनांतरण लोगो को अपनी जीविका चलने के लिए जरूरी हो जाती है

इस कारण से जनसंख्या वितरण, जननांकिकी संरचना में परिवर्तन होता है।

खनिज

खनन संपदा से संपन्न क्षेत्र लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है।

मिनरल को धरातल से निकलने के लिए अधिक लोगो की आवश्यकता होती है। और उन लोगो की आवश्यकताओ की पूर्ति करने के लिए अन्य और कई लोगो कि आवश्यकत होती है।

इसके साथ-साथ खनिज निकलना,परिवहन करना, विभिन्न प्रकार के उद्योगों को स्थापित करना, वस्तुओ का निर्माण करना, व्यपार, संचार,सेवा जैसे कई संबंधित सुविधाएं का विकास होने लगता है।

जिसके कारण ऐसे क्षेत्र विरल जनसंख्या से सघन जनसंख्या में परिवर्तित हो जाता है।

नगरीकरण

नगरीकरण भी जनसंख्या वितरण को प्रभावित करता है। क्योकि नगरीय क्षेत्रो में ऐसी सुविधाएं विकसित हो जाती है , जो लोगो को नगर की ओर आकर्षित करती है।

जैसे: शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार, परिवहन, संचार, मनोरंजन इत्यादि इन सुविधाओं के कारण ग्रामीण जनसंख्या स्थनांतरित होकर नगर की ओर चली जाती है।

फिर यही नगर धीरे-धीरे महानगर मे परिवर्तित हो जाती है।

औद्योगिकीकरण

औद्योगिकीकरण भी जनसंख्या को अपनी ओर आकर्षित करती है।

क्योकि औद्योगिकीकरण से बड़े पैमाने पर रोजगार कि सुविधाएं विकसित होती है जिसके कारण भिन्न-भिन्न कुशलता वाले श्रमिकों को अपने ओर आकर्षित करता है इसके साथ-साथ परिवहन कर्मी, व्यापर से जुड़े लोग, बैंक, शिक्षा, स्वास्थ इत्यादि से जुड़े लोगो की भी बड़ी मात्रा में मांग बढ़ जाती है।

जिससे यह औद्योगिक क्षेत्र बड़े नगरीय क्षेत्र में परिवर्तित हो जाता है।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक

सामाजिक एवं सांस्कृतक कारक भी जनसंख्या वितरण को प्रभावित करता है।

विश्व मे विभिन्न प्रकार के भाषा, जाति, प्रजाति, धर्म के लोग रहते है। उनके रीति-रिवाज़ अलग-अलग होते है जहाँ वे बसते है वे चाहते है कि उसी से संबंधित जाति, धर्म, भाषा के लोग उसके इर्द-गिर्द बसे।एक ही प्रकार के व्यवसाय वाले लोग भी एक ही स्थान पर बसना चाहते है।

जिसके कारण उस क्षेत्र मे धीरे -धीरे उनकी संख्या बढ़ते जाती है और नगर या देश के रूप धारण कर लेता है मुंबई, इजराइल,हॉलीवुड इत्यादि इसके उद्धरण है।

इसी प्रकार सांस्कृतिक कारक भी जनसंख्या के वितरण को प्रभवित करता है।

विभिन्न धर्मो से संबंधित धार्मिक स्थान धीरे-धीरे नगरों में परवर्तित हो जाते है।

जैसे: वाराणसी, अमृतसर, मक्का मदीना, जेरूसेलम, विटिकनसिटी, प्रयागराज (अल्लाहाबाद) इत्यादि।

राजनैतिक कारण

प्राचीन कल से ही जनसंख्या वितरण को राजनैतिक कारक प्रभावित करते रहा है रजनीतिक विज्ञान मे राज्य को जीव से तुलना किया गया है जिस प्रकार एक जिव का वृद्धि एवं विकास होता है उसी प्रकार राज्य का भी वृद्धि एवं विकास होने चाहिए।

इसी संकल्पना के कारण एक राज्य अपने क्षेत्र को वृद्धि एवं विकास के लिए नीतियाँ निर्धरित करती है और जिस क्षेत्र, राज्य को हासिल करने के लिए युद्ध नीति अपनाती है। तो ऐसे क्षेत्र असांत हो जाते है। और लोग क्षेत्र से प्रवास के लिए विवस हो जाते है। यह क्षेत्र वीरान हो जाता है।

युद्ध वाले क्षेत्र मे लोग नहीं रहना चाहते है। और दूसरी जगह पर जाकर प्रवास करते है।इसके कई उदाहरण है।

जैसे: फारस की खाड़ी युद्ध, जायरे, इथोपिया, सूडान और चाड के गृह युद्ध, रवांडा और श्रीलंका के जातीय संघर्ष,भारत पाकिस्तान मे कश्मीर , इजराइल फिलिस्तीन इत्यादि।

इस तरह हम देखते है कि जनसंख्या के वितरण को कई कारक प्रभवित करते है कई क्षेत्रो में एक कारक तो कई क्षेत्रो मे एक से अधिक कारक भी प्रभावी होते है जो उस क्षेत्र के जनसंख्या वितरण को प्रभावित करता है।

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