नमस्कार दोस्तों ! भारतीय अपवाह तंत्र के अंतर्गत अनेको नदियां प्रवाहित होती है। और ये नदियां भारत के भौतिक स्वरूप के तहत हिमालय पर्वत शृंखला, प्रायद्वीपीय पठार तथा तटीय मैदानों से होकर गुजरती है। ये नदियां अपने प्रवाह मार्ग में विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियां बनाती है। जिसमे एक प्रमुक स्थलाकृति जलप्रपात होता है।
आज हमलोग इस लेख के माध्यम से यह जानेंगे की जलप्रपात क्या होता है ? या जलप्रपात किसे कहते है ? इसका विकास कैसे होता है ? यह कितने प्रकार के होते है ? विश्व के सबसे ऊँचे एवं बड़ा जलप्रपात का नाम क्या है ? भारत में कौन-कौन से महत्वपूर्ण जलप्रपात है ? और वह कहाँ स्थिति है ? इत्यादि।
जलप्रपात क्या है ? या जलप्रपात किसे कहा जाता है ?
नदीय अपरदन के कारण विकसित एक अपरदनात्मक स्थलाकृति जलप्रपात है। इसका विकास तब होता है जब नदी अपने प्रवाह मार्ग में ऊँचे स्थान से नीचे की ओर तीव्र गति से किसे खड़ी ढाल के सहारे गिरती हो तो इस प्रकार से बनी भू-आकृति को जलप्रपात कहा जाता है। विश्व का सबसे ऊँचा जलप्रपात एंजल जलप्रपात है।
- विश्व का सबसे ऊँचा जलप्रपात – एंजल जलप्रपात ( 979 मीटर ऊँची ) है। यह दक्षिण अमेरिका के वेनुजुएला देश में कैरोनी की सहायक नदी चूरू नदी पर बनता है। कैरोनी नदी ओरिनोको में मिलती है।
- विश्व का सबसे बड़ा जलप्रपात – नियाग्रा जलप्रपात है। यह जलप्रपात उत्तरी अमेरिका महादेश के संयुक्त राज्य अमेरिका ( USA ) में सेंट लॉरेन्स नदी पर बना हुआ है।
- भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात – कुंचिकल जलप्रपात है। यह वाराही नदी पर कर्नाटक के सिमोगा जिले में स्थित है। इसकी उचाई 455 मीटर है।
- भारत का सबसे बड़ा जलप्रपात – चित्रकूट जलप्रपात है। यह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में इंद्रावती नदी पर बना हुआ है। इसे भारत का नियाग्रा कहा जाता है।
- जोग जलप्रपात ( भारत में ) जिसे गरसोप्पा या महात्मा गाँधी जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यह शरावती नदी पर कर्नाटक के सिमोगा जिले में स्थित है। इसकी उचाई 253 मीटर है।
जलप्रपात का विकास कैसे होता है ?
पृथ्वी के धरातल की संरचना, चट्टानों का संगठन, धरातल का उच्चावच तथा धरातल का संचलन आदि कारक जलप्रपात विकास के लिए आदर्श स्थिति उत्पन्न करता है।
इसके विकास के लिए मुलायम एवं कठोर चट्टानों का वितरण नदी मार्गो में लंबवत एवं क्षैतिज अवस्था में होने से नदियां अपनी तली अपरदन के कारण मुलायम चट्टानों को तो आसानी से अपरदित कर देती है। परन्तु कठोर चट्टानों को आसानी से अपरदित नहीं कर पाती है और कठोर चट्टानें मुलायम चट्टानों पर संरक्षक की भांति एक तीव्र ढाल वाली क्लिफ का निर्माण करती है जिसमे नदियां अपना जल ऊँचे स्थान से नीचे तीव्र गति से गिरती है।
कभी कभी धरातल के उत्थान एवं निम्नजन होने के कारण नदी तल का ऊपर उठ जाना जलप्रपात विकास के लिए आदर्श दशाएं उपलब्ध करती है। धरातल किए किसी क्षेत्र में उत्थान होने से “निक प्वाइंट” विकास हो जाता है जिससे जलप्रपात का निर्माण होता है।
धरातल के क्षैतिज संचलन के कारण धरातल पर भ्रंश एवं दरारों का विकास होता है जिससे नदियां भ्रंश एंव दरारों के तीव्र या खड़ी ढालो ( किल्फ़ ) पर नदियां जलप्रपात का निर्माण करती है।
जलप्रपातो के प्रकार
इनके विकास के लिए कई करक उत्तरदाई होते है। इस आधार पर जलप्रपात कई प्रकार के हो सकते है। कुछ प्रकार निम्नलिखित इस प्रकार के है।
- सामान्य जलप्रपात
- सोपानी जलप्रपात
- छत्रक शैल जलप्रपात
- अवरोधी जलप्रपात
- पठारी जलप्रपात
- गौण जलप्रपात
- अंतर्जात बलों द्वारा विकसित जलप्रपात
- भ्रंश जल प्रपात
- उत्थान जनित जल प्रपात
- नदियों की घाटियों के तल में परिवर्तन से उत्पन्न जल प्रपात
- लटकती घाटी जल प्रपात
- हिमानी लटकती घाटी जल प्रपात
- सरिता अपहरण जनित जल प्रपात
- सागर तटीय लटकती घाटी जल प्रपात
- निक प्वाइंट जल प्रपात
- नदियों के मार्ग में अवरोध के कारण उत्पन्न जल प्रपात
- भूस्खलन जनित जल प्रपात
- लावा बांध द्व्रार विकसित जल प्रपात
- हिमानियों के हिमोढ़ द्वारा विकसित जल प्रपात
- अंतर्जात बलों द्वारा विकसित जलप्रपात
भारत के प्रमुख जलप्रपात
भूआकृति भिन्नता, धरातलीय संरचना तथा धरातलीय संचालन के कारण भारत में सैकड़ो जलप्रपात विकसित हुए है। कुछ प्रमुख जल प्रपात निम्नलिखित इस प्रकार है।
क्र.सं. | राज्य | जलप्रपात | नदी | उचाई ( मीटर में ) | विशेषता |
1 | कर्नाटक | जोग या गरसोप्पा या महात्मां गाँधी | शरावती नदी | 253 | |
2 | कर्नाटक | शिव समुद्रम | कावेरी | 98 | |
4 | कर्नाटक | कुंचिकल | वराही | 455 | भारत का सबसे ऊँची जलप्रपात |
5 | कर्नाटक | गोकक | गोकक | —- | |
6 | कर्नाटक | मगोड़ | वेता | 198 | |
7 | कर्नाटक | हेब्बे | —- | 163 | |
8 | कर्नाटक | बरकाना | —- | 259 | |
9 | कर्नाटक तथा गोवा | दूधधारा | मांडवी | 310 | ‘Sea Of Milk’ |
10 | केरल | सुचिपारा | —– | 200 | |
11 | केरल | मीममुट्टी | कल्लर | 300 | |
12 | केरल | पालरुवी | —– | 90 | |
13 | छत्तीसगढ़ | चित्रकूट | इंद्रावती | —- | ‘भारत का न्याग्रा’ |
14 | छत्तीसगढ़ | तीर्थगढ़ | —- | —- | |
15 | झारखण्ड | हुंडरू | स्वर्णरेखा | 97 | |
16 | झारखण्ड | दशम | काँची | 40 | |
17 | झारखण्ड | गौतमधारा | राढू | 16 | |
18 | झारखण्ड | बुढ़ाघाघ | बुढ़ाघाघ | 142 | |
19 | झारखण्ड | जोन्हा | शंख | ||
20 | झारखण्ड | राजरप्प | भैरवी | ||
21 | बिहार | ककोलत | लोहबर | 50 | |
22 | मध्य प्रदेश | येन्ना | नर्मदा | 183 | |
23 | मध्य प्रदेश | चचाई | बीहड़ | 130 | |
24 | मध्य प्रदेश | धुआँधार ( भेड़ा ) | नर्मदा | —- | |
25 | मध्य प्रदेश | कपिलधारा | नर्मदा | —- | |
26 | मध्य प्रदेश | मंधारा पुनासा | नर्मदा | —- | |
27 | मेघालय | नोकलिकाई | —– | —– | |
28 | मेघालय | नोहसंबगी चियांग | —– | 315 | ‘seven sister’ |
29 | मिजोरम | वातावंग | लू | 229 | |
30 | महाराष्ट्र | कुने | —- | 200 | |
31 | महाराष्ट्र | बजनी | उर्मोडी | 260 | |
32 | महाराष्ट्र | अम्बोली घाट | हिरण्यकेशि | —- | |
33 | ओडिसा | खंडाधार | कोरनाला | 244 | |
34 | ओडिसा | ददमा | मुचकुण्डा | ||
35 | ओडिसा | जोरांडा | —- | —- | |
36 | आंध्रप्रदेश | पंचलाकोना | —– | 219 | |
37 | तमिलनाडु | बटटापरै | पाझयार | —- | |
38 | तमिलनाडु | होगनेकल | कावेरी | —- | |
39 | तमिलनाडु | थलईयार | मंजालार | 297 | |
40 | तमिलनाडु | सिरुवानी | सिरुवानी | —– | |
41 | तमिलनाडु | पाइकारा | पाइकारा | —– |
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