भूगोल की शाखाएँ।

भूगोल कि शाखाएँ (विषय क्षेत्र)

विषयवस्तुगत (क्रमबद्ध ) उपागम के आधार पर भूगोल की शाखाएँ निम्न है।

इस लेख में हमलोग देखेगें कि भूगोल कि शाखाएँ कौन-कौन है।भूगोल विषय को मुख्य रूप से तीन विषय क्षेत्रो में विभाजित किया जाता है। जो निम्न इस प्रकार है।

भौतिक भूगोल

  1. भू-आकृति विज्ञान — यह भू आकृतियों (पर्वत , पठार , मैदान इत्यादि ) उनके विकास एवं संबंधित प्रक्रियाओ का अध्ययन करता है।
  2. जलवायु विज्ञान — इसमे जलवायु के तत्वों , वायुमंडलीय प्रक्रियाएं , जलवायु के प्रकार इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।
  3. जल विज्ञान — यह धरातल के जल परिमंडल जिसमे समुद्र , नदी , झील तथा अन्य जलाशयो का अध्ययन सम्मिलित है , तथा मानव सहित विभिन्न प्रकार के जीवो एवं उनके कार्यो पर प्रभाव का अध्ययन है।
  4. मृदा भूगोल — इसमे मिट्टी निर्माण की प्रक्रियाएँ , मिट्टी के प्रकार , उसका उत्पादन स्तर , वितरण एवं उपयोग आदि का अध्ययन किया जाता है.

मानव भूगोल

  1. सामाजिक /सांस्कृतिक भूगोल — इसके अंतर्गत समाज तथा इसकी स्थानिक / प्रादेशिक गत्यात्मक एवं समाज के योगदान से निर्मित सांस्कृतिक तत्वों का अध्ययन किया जाता है।
  2. जनसंख्या एवं अधिवास भूगोल — जनसंख्या वृद्धि , वितरण , घनत्व ,लिंगानुपात , प्रवास एवं व्यवसायिक संरचना आदि का अध्ययन करता है। जबकि अधिवास भूगोल मे ग्रामीण एवं नगरीय अधिवास के वितरण , प्रारूप , प्रकार तथा अन्य विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।
  3. आर्थिक भूगोल — इसके अंतर्गत मानवीय क्रियाओ का अध्ययन किया जाता है। प्राथमिक क्रियाएँ (आखेट , भोजन संग्रह , कृषि , पशुपालन , खनन ) , द्वितीयक क्रियाएँ ( विनिर्माण उद्योग ) , तृतीयक क्रियाएँ (व्यापर , परिवहन ,संचार , सेवाएँ ) इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।
  4. ऐतिहासिक भूगोल — यह भूगोल उन ऐतिहासिक प्रक्रियाओ का अध्ययन करता है , जो क्षेत्र को संगठित करती है। प्रत्येक प्रदेश वर्तमान स्थिति मे आने के पूर्व ऐतिहासिक अनुभवों से गुजरता है। भौगोलिक तत्वों मे भी सामाजिक परिवर्तन होते रहते है इसी कि व्याख्या ऐतिहासिक भूगोल मे किया जाता है।
  5. राजनीतिक भूगोल — यह क्षेत्र को राजनीतिक घटनाओ की दृष्टि से देखता है एवं सीमाओं निकटस्थ पड़ोसी इकाइयो के मध्य भू विन्यासिक संबंध , निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन एवं चुनाव परिदृश्य का विश्लेषण करता है साथ ही जनसंख्या के राजनीतिक व्यवहार को समझने के लिए सैद्धांतिक रुपरेखा विकसित करता है।

जैव भूगोल

  1. जीव भूगोल — इसमें पशुओ एवं उनके निवास क्षेत्र के स्थानिक स्वरूप एवं भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन होता है।
  2. वनस्पति भूगोल — इसके अंतर्गत प्रकृतिक वनस्पति का उनके निवास क्षेत्र मे स्थानिक प्रारूप का अध्ययन करता है।
  3. पारिस्थैतिक भूगोल — इसके अंतर्गत मानव पारिस्थैतिक तंत्र का अध्ययन किया जाता है। इसमे मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
  4. पर्यावरण भूगोल — पर्यावरणीय गुणवत्ता तथा मानव पर उनके प्रभाव का अध्ययन करता है। पर्यावरणीय समस्याओ जैसे: भूमि , जल ,वायु इत्यादि का प्रदूषण एवं संरक्षण क अध्ययन किया जाता है।

प्रादेशिक उपागम पर आधारित भूगोल की शाखाएँ

  1. वृहत , मध्यम , लघुस्तरीय प्रादेशिक / क्षेत्रीय अध्ययन।
  2. ग्रामीण नियोजन तथा शहर एवं नगर नियोजन सहित प्रादेशिक नियोजन।
  3. प्रादेशिक विकास।
  4. प्रादेशिक विवेचन / विश्लेषण।

भूगोल कि दो ऐसे शाखाएँ भी है जो सभी विषयो के लिए उभयनिष्ट / सर्वनिष्ट है वो ये है।

दर्शन

  1. भौगोलिक चिंतन।
  2. भूमि एवं मानव अंतर्प्रक्रिया / मानव पारिस्थितिकी।

विधितंत्र एवं तकनीक

  1. सामान्य एवं संगठक आधारित मानचित्र।
  2. परिमनात्मक तकनीक /सांखियकी तकनीक।
  3. क्षेत्र सर्वेक्षण विधियाँ।
  4. भू -सूचना विज्ञान तकनीक (Geoinformatics ) जैसे: दूर संवेदन तकनीक , भौगोलिक सुचना तंत्र (G.I.S.) वैश्विक स्थितीय तंत्र (G.P.S.)

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